गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार ने शानदार शुरुआत की और हरे निशान में खुला। यह उछाल ऐसे समय पर आया जब केंद्र सरकार ने जीएसटी प्रणाली में बड़े सुधारों को मंजूरी दी, जिनका उद्देश्य आम लोगों का बोझ कम करना और अमेरिका के बढ़ते टैरिफ प्रभाव को संतुलित करना है।
सुबह करीब 9:30 बजे, सेंसेक्स 700 अंकों की जबरदस्त बढ़त के साथ 81,000 के पार पहुंच गया। इस दौरान निफ्टी भी 156.65 अंक चढ़कर 24,871.70 पर कारोबार करता देखा गया। यह संकेत है कि बाजार निवेशकों ने वित्त मंत्री की घोषणाओं का सकारात्मक स्वागत किया है।
वित्त मंत्री ने किए जीएसटी में बड़े बदलाव
बुधवार शाम, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में 2017 से लागू जीएसटी व्यवस्था में बड़े और व्यापक बदलावों की घोषणा की। उनका कहना था कि सरकार का लक्ष्य आम उपभोक्ताओं को राहत देना, महंगाई पर नियंत्रण पाना और कारोबार को आसान बनाना है।
घोषणाओं के अनुसार, अब दवाइयाँ, टूथपेस्ट, बीमा, ट्रैक्टर, सीमेंट, मोबाइल फोन, टीवी, और छोटी कारें जैसी रोजमर्रा की वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स की दरों में कटौती की गई है। इससे उपभोक्ताओं को सीधे लाभ मिलेगा और औद्योगिक उत्पादन व खपत में भी तेजी आने की उम्मीद है।
अब सिर्फ दो टैक्स स्लैब: 5% और 18%
जीएसटी काउंसिल ने मौजूदा चार टैक्स स्लैब – 5%, 12%, 18% और 28% को समाप्त कर अब केवल दो मुख्य स्लैब रखने का निर्णय लिया है – 5% और 18%।
हालांकि, कुछ वस्तुएं जैसे तंबाकू उत्पाद, सिगरेट, बीड़ी और हाई-एंड लक्ज़री कारें अब भी एक विशेष 40% टैक्स स्लैब के तहत आएंगी, जिससे सरकार के राजस्व में गिरावट न आए।
नई दरें 22 सितंबर से होंगी लागू
वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, ये नई टैक्स दरें 22 सितंबर 2025 से लागू होंगी। इसका लाभ उपभोक्ताओं को दिवाली से पहले मिलना शुरू हो जाएगा, जिससे त्योहारी सीजन की मांग और खपत में इजाफा होना तय है।
बाज़ार में बुल रन के संकेत, निवेशकों में उत्साह
बाज़ार विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार के इन कदमों से न केवल महंगाई पर अंकुश लगेगा, बल्कि यह अर्थव्यवस्था को एक नया बल भी देगा। गुरुवार को आई इस तेज़ी को देख कई निवेशकों को प्री-दिवाली रैली की उम्मीदें बढ़ती दिखीं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आने वाले समय में और टैरिफ रियायतें मिलती हैं, तो शेयर बाजार नए रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकता है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, जीएसटी में किए गए इन साहसिक बदलावों ने शेयर बाजार को ऊर्जा दी है और आम जनता को राहत का भरोसा भी। सरकार का यह कदम उपभोग, निवेश और औद्योगिक विकास—तीनों के लिए सकारात्मक संकेत है। अब देखने वाली बात यह होगी कि ये सुधार लंबी अवधि में आर्थिक वृद्धि को किस तरह प्रभावित करते हैं।