एक फरवरी को पेश होने वाले बजट से सबसे बड़ी उम्मीद आयकर को लेकर है। लोग चाहते हैं कि वित्त मंत्री उन्हें कुछ कर राहत दें ताकि वे अधिक पैसा बचा सकें। उद्योग विशेषज्ञों ने भी सरकार को आयकर कम करने के सुझाव दिए हैं। इन सबके बीच आरबीआई के पूर्व गवर्नर का कहना है कि आयकर में कटौती नहीं की जानी चाहिए।
यहां निवेश करना चाहिए
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि बजट में आयकर में कटौती नहीं की जानी चाहिए। इसके बजाय, दीर्घकालिक समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और रोजगार सृजन में निवेश बढ़ाया जाना चाहिए। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के अवसर पर बोलते हुए राजन ने कहा कि उपभोग को बढ़ावा देने के लिए करों में कटौती आकर्षक लग सकती है, लेकिन वर्तमान वित्तीय स्थिति में ऐसे उपायों की बहुत कम गुंजाइश है।
रोजगार सृजन एक बड़ा मुद्दा है।
उन्होंने कहा कि यह कर कटौती के बारे में ज्यादा सोचने का समय नहीं है। हमें हर स्तर पर मानव पूंजी की गुणवत्ता बढ़ाने पर ध्यान देना होगा, इससे देश का भविष्य समृद्ध होगा। रघुराम राजन ने कहा कि कराधान कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। यह सच है कि इसकी समय-समय पर समीक्षा की जानी चाहिए, लेकिन मेरा मानना है कि अधिक महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि हम रोजगार सृजन को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं।
अन्य विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
कई विशेषज्ञों ने सरकार को बजट में व्यक्तिगत आयकर कम करने का सुझाव दिया है। उनका कहना है कि उपभोग और मांग को मजबूत करने के लिए यह आवश्यक है। आयकर छूट के कारण लोगों के पास अधिक पैसा बचेगा और वे अधिक खर्च भी करेंगे। इससे उपभोग और मांग बढ़ेगी तथा अर्थव्यवस्था को समर्थन मिलेगा। उनका यह भी कहना है कि कर कटौती से बाजार में मांग बढ़ेगी, जिससे सरकारी राजस्व में कमी नहीं आएगी। लेकिन रघुराम राजन ने बिल्कुल विपरीत राय व्यक्त की है।