ताजा खबर

इजरायल-ईरान टकराव का भारत में पेट्रोल-डीजल आपूर्ति पर क्या असर? पेट्रोलियम मंत्री ने दिए राहत के संकेत

Photo Source :

Posted On:Wednesday, June 18, 2025

भारत के लिए ईंधन की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है, खासकर वर्तमान में मध्य पूर्व के देशों इजरायल और ईरान के बीच तनाव और टकराव के बीच। ऐसे समय में जब वैश्विक तेल बाजार में अस्थिरता बनी हुई है, भारत ने अपनी रणनीतियों को मजबूती से लागू किया है ताकि देश की पेट्रोलियम आपूर्ति प्रभावित न हो और आम जनता को ईंधन की कमी जैसी समस्या का सामना न करना पड़े। इसी संदर्भ में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में एक बैठक में यह स्पष्ट किया कि भारत अपनी ईंधन आपूर्ति की जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

भारत की ईंधन आपूर्ति की समीक्षा बैठक

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों और सरकारी तेल कंपनियों के साथ एक समीक्षा बैठक की। इस बैठक का उद्देश्य भारत की पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति की वर्तमान स्थिति का आकलन करना और जरूरत पड़ने पर प्रभावी कदम उठाना था। पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश फिलहाल ईंधन आपूर्ति की स्थिति में अच्छी स्थिति में है और किसी भी अप्रत्याशित वैश्विक संकट से निपटने के लिए पूरी तैयारी है।

पुरी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर भी इस बैठक की जानकारी साझा की और कहा कि मौजूदा वैश्विक हालात को देखते हुए पेट्रोलियम मंत्रालय ने सभी संबंधित विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के तेल विपणन कंपनियों (PSU OMCs) के साथ मिलकर स्थिति का विस्तार से मूल्यांकन किया है। यह कदम इसलिए आवश्यक था क्योंकि इजरायल-ईरान टकराव जैसे विवाद क्षेत्रीय और वैश्विक तेल आपूर्ति श्रृंखलाओं पर असर डाल सकते हैं।

भारत की खुद की तेल और गैस क्षमता

केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि भारत के क्षेत्र में लगभग 42 बिलियन टन तेल और गैस के बराबर की संसाधन क्षमता मौजूद है। देश के अंदर ही इतनी बड़ी ऊर्जा संसाधन संपदा होने के बावजूद भारत निरंतर अपनी जीवाश्म-आधारित ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने की कोशिश में लगा है। इसके तहत सरकार ने कई नए उपाय और रणनीतियां अपनाई हैं, जिनमें अंडमान में हो रही गहरी खुदाई एक प्रमुख प्रयास है।

तलछटी बेसिनों में अन्वेषण का विस्तार

पुरी ने बताया कि भारत में लगभग 35 लाख वर्ग किलोमीटर की तलछटी बेसिन है, जो प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर मानी जाती हैं। ये बेसिन झीलों, नदियों के तलछट और समुद्री तलछट के रूप में हैं, जहां कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस मिलने की संभावनाएं अधिक होती हैं। अभी तक इस क्षेत्र के कई हिस्सों में अन्वेषण के लिए प्रतिबंध लगे हुए थे, लेकिन अब सरकार ने 10 लाख वर्ग किलोमीटर के बड़े तलछटी बेसिनों में अन्वेषण की अनुमति दे दी है।

यह बड़ा फैसला भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे नई तेल और गैस की खोज के अवसर बढ़ेंगे और देश की आयात निर्भरता कम होगी। अन्वेषण के विस्तार से न केवल ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे और आर्थिक विकास को गति मिलेगी।

भारत की ऊर्जा रणनीति और आत्मनिर्भरता

केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि भारत की ऊर्जा नीति का लक्ष्य न केवल घरेलू उत्पादन बढ़ाना है, बल्कि ऊर्जा की मांग को स्थायी और पारदर्शी तरीके से पूरा करना भी है। इसके तहत नई तकनीकों का इस्तेमाल, विदेशी निवेश को आकर्षित करना, और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना शामिल है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि राजनीतिक और सामरिक रूप से भी देश के हित में है। ऊर्जा सुरक्षा के साथ-साथ जलवायु संरक्षण और स्वच्छ ऊर्जा के विकल्पों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत की भूमिका

मध्य पूर्व के देशों में जंग और तनाव का असर वैश्विक ऊर्जा बाजार पर तत्काल पड़ता है। इजरायल-ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने तेल की कीमतों को बढ़ा दिया है और वैश्विक तेल निर्यात में अनिश्चितता पैदा कर दी है। ऐसे समय में भारत जैसे बड़े उपभोक्ता देश के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वह अपनी आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करे।

भारत ने न केवल अपनी घरेलू उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं, बल्कि अपनी रणनीतिक तेल भंडारों को भी सशक्त बनाया है ताकि आपूर्ति में किसी भी व्यवधान को झटका न लग सके। इसके साथ ही भारत ने विविध ऊर्जा स्रोतों को अपनाने की दिशा में भी काम किया है, जिससे विदेशी तेल पर निर्भरता कम हो।

निष्कर्ष

इजरायल-ईरान टकराव जैसे वैश्विक तनाव के बावजूद भारत ने अपनी पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की आपूर्ति को स्थिर बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी की समीक्षा बैठक और उनकी बातें इस बात का सबूत हैं कि देश इस क्षेत्र में पूरी तरह से तैयार है। घरेलू तेल और गैस संसाधनों का दोहन बढ़ाना, तलछटी बेसिनों में अन्वेषण का विस्तार, और नई तकनीकों को अपनाना भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत न केवल ऊर्जा की जरूरतों को पूरा कर रहा है, बल्कि आत्मनिर्भर और टिकाऊ ऊर्जा भविष्य की दिशा में भी अग्रसर है। यह रणनीति देश को वैश्विक तेल बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाए रखने और आर्थिक विकास को गति देने में मदद करेगी। आने वाले वर्षों में भारत की ऊर्जा क्षेत्र की यह मजबूती देश की स्थिरता और समृद्धि के लिए एक मजबूत आधार साबित होगी।


फिरोजाबाद और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. firozabadvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.