इंदौर के चर्चित कारोबारी राजा रघुवंशी की हत्या का मामला अब एक नया मोड़ लेता दिख रहा है। मृतक के भाई विपिन रघुवंशी ने अब सामने आकर कुछ गंभीर आरोप लगाए हैं, जिससे केस की दिशा और गहराई दोनों बदलती नजर आ रही है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि मुख्य आरोपी राज कुशवाहा और सोनम रघुवंशी ड्रग्स लेते थे और उन्हें थर्ड डिग्री पूछताछ के जरिए सच उगलवाना चाहिए। साथ ही उन्होंने नार्को टेस्ट की मांग करते हुए दावा किया कि जब तक यह टेस्ट नहीं होता, तब तक सच्चाई सामने नहीं आ सकती।
आरोपियों के बयान बदलने से बढ़ा शक
इस हत्याकांड में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपियों में से दो—आकाश राजपूत और आनंद कुर्मी—ने अदालत में अपने कबूलनामे से पलटते हुए अब चुप्पी साध ली है। इससे यह संदेह और भी मजबूत हो गया है कि आरोपी किसी दबाव में या किसी रणनीति के तहत बयान बदल रहे हैं। विपिन का कहना है कि राज और सोनम के बीच गहरे निजी संबंध थे और उसी के चलते राजा रघुवंशी की हत्या की साजिश रची गई।
नशा, ईर्ष्या और निजी रंजिश की भूमिका
भाई विपिन ने आशंका जताई है कि यह मामला केवल हत्या का नहीं, बल्कि इसके पीछे नशे की लत, ईर्ष्या और निजी रंजिश जैसी गहरी साजिशें हैं। उन्होंने इस केस को और गंभीरता से जांचे जाने की मांग की है। गौर करने वाली बात यह है कि पुलिस ने भी आरोपियों के बयान में बदलाव को लेकर चिंता जाहिर की है, लेकिन अब तक मंशा को लेकर कोई स्पष्ट निष्कर्ष नहीं निकल सका है।
सबूत मिटाने वाले भी गिरफ्तार
पुलिस ने अब तक 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से तीन—लोकेंद्र सिंह तोमर, सिलोम जेम्स और बल्लू अहिरवार—पर सबूत मिटाने के आरोप हैं। इन सभी की गिरफ्तारी इंदौर से हुई है। पुलिस ने इनके पास से एक देसी पिस्तौल, दो मैगजीन और जिंदा कारतूस भी जब्त किए हैं। इससे साफ होता है कि मामले में हथियारों और पूर्व नियोजित अपराध की बड़ी भूमिका थी।
मेघालय का ‘हनीमून मर्डर केस’: क्या था पूरा मामला?
20 मई को राजा रघुवंशी अपनी पत्नी सोनम के साथ हनीमून पर मेघालय गए थे। लेकिन 23 मई को दोनों लापता हो गए और 2 जून को राजा का शव गहरी खाई से बरामद किया गया। जांच में सामने आया कि सोनम ने अपने प्रेमी राज कुशवाहा के साथ मिलकर 20 लाख रुपये की सुपारी दी थी, जिसके तहत सुपारी किलर्स ने राजा की हत्या की। चाकुओं से गोदने के बाद शव को खाई में फेंक दिया गया।
परिजनों की नाराजगी: नार्को टेस्ट पर अड़े
राजा के परिवार, विशेष रूप से उनके भाई विपिन की यह मांग है कि जब तक राज और सोनम का नार्को टेस्ट नहीं होता, तब तक अदालत और पुलिस को उन पर भरोसा नहीं करना चाहिए। हालांकि, मेघालय पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का हवाला देते हुए नार्को टेस्ट से इनकार कर दिया है। एसपी विवेक सियेम ने कहा कि यदि पर्याप्त सबूत मौजूद हैं, तो नार्को टेस्ट की आवश्यकता नहीं होती।
पुलिस की अगली कार्रवाई पर नजर
इस केस को लेकर पूरे इंदौर और देश भर में चर्चा है। सामाजिक संगठनों और आम जनता द्वारा निष्पक्ष जांच की मांग की जा रही है। सबकी निगाहें अब पुलिस की आगामी कार्रवाई, चार्जशीट और कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं। क्या नार्को टेस्ट से सच्चाई सामने आएगी? क्या ड्रग्स और निजी संबंध ही हत्या की वजह थे? ये सवाल आने वाले दिनों में पुलिस जांच और कोर्ट की प्रक्रिया के दौरान ही साफ हो पाएंगे।
राजा रघुवंशी मर्डर केस अब केवल एक हत्या नहीं, बल्कि एक जटिल साजिश, सामाजिक विश्वासघात और कानूनी लड़ाई की कहानी बन चुका है। जनता और परिवार की उम्मीदें अब पूरी तरह से कानून व्यवस्था और न्याय प्रणाली पर टिकी हैं