जब बात देश की सुरक्षा की हो, तो हमारे जवान हर हाल में डटे रहते हैं। देश की सीमाओं पर साहस और समर्पण की जो कहानियां होती हैं, उनमें अक्सर ऐसी वीरता छिपी होती है, जो हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा कर देती है। हाल ही में बीएसएफ की असिस्टेंट कमांडेंट नेहा भंडारी ने ऐसा ही कारनामा किया, जिसने देशवासियों के दिलों में नया उत्साह भर दिया है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उन्होंने न केवल मोर्चा संभाला, बल्कि अपनी पूरी टीम को भी साहस, सूझबूझ और दृढ़ निश्चय के साथ नेतृत्व किया। उनके इस बहादुरी भरे कार्य को सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सम्मानित किया, जो एक देश के लिए गर्व की बात है।
फौजी परिवार की बहादुर बेटी बनी देश का गौरव
नेहा भंडारी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ की रहने वाली हैं और एक फौजी परिवार से आती हैं। उनके दादा सेना में थे और माता-पिता दोनों ही सीआरपीएफ में सेवा देते हैं। बचपन से ही नेहा का सपना था कि वह भी वर्दी पहनकर देश की सेवा करें। यह सपना साल 2022 में सच हुआ, जब वह बीएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट बनीं। महज तीन साल की सेवा में उन्होंने जो बहादुरी दिखाई, उसने उन्हें देश का गौरव बना दिया।
ऑपरेशन सिंदूर में बहादुरी की मिसाल
नेहा भंडारी जम्मू के अखनूर सेक्टर में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तैनात थीं। उस वक्त पाकिस्तान की ओर से लगातार फायरिंग, ड्रोन हमले और मोर्टार बमबारी जारी थी। इस मुश्किल समय में नेहा ने पूरी कंपनी की कमान संभाली और अपनी महिला जवानों के साथ मोर्चे पर डटी रहीं। गोलियों की आवाज़ और धमाकों के बीच उन्होंने अपने जवानों का मनोबल बनाए रखा और दुश्मन को करारा जवाब दिया। नेहा के शब्दों में, “हमने एक सैनिक की तरह ड्यूटी निभाई, न कि एक महिला की तरह।”
उनके नेतृत्व और साहस ने न केवल मोर्चे पर जवानों को हौसला दिया, बल्कि पूरे देश को यह संदेश भी दिया कि हमारे जवान हर परिस्थिति में देश की रक्षा के लिए तत्पर हैं। उनकी बहादुरी के कारण ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा, और यह जीत भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बन गई।
सेना प्रमुख का दौरा और जवानों को प्रेरणा
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने जम्मू के सुंदरबनी सेक्टर का दौरा कर वहां तैनात जवानों से मुलाकात की। उन्होंने सैनिकों की तैयारियों का जायजा लिया और कहा कि सीमा पर तैनात जवान बेहद कठिन हालात में भी पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ देश की सेवा कर रहे हैं। सेना प्रमुख ने कमांडरों से सुरक्षा की स्थिति और ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की जानकारी ली, और इस सफलता की सराहना की।
उन्होंने जवानों से सतर्क, तैयार और एकजुट रहने की अपील की। सेना प्रमुख ने सैनिकों की मेहनत, साहस और जिम्मेदारी की तारीफ करते हुए कहा कि ऐसे ही जवानों के कारण भारत सुरक्षित और मजबूत है। उन्होंने सभी जवानों को आगे भी इसी प्रकार देश की सेवा करने के लिए प्रेरित किया।
नेहा भंडारी का सम्मान – देश के लिए गर्व
असिस्टेंट कमांडेंट नेहा भंडारी को जो सम्मान मिला है, वह सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। उनकी बहादुरी यह साबित करती है कि भारत की बेटियां भी देश की सीमाओं की सुरक्षा में किसी से कम नहीं हैं। वे देश की सुरक्षा में अपनी जान की परवाह किए बिना डटी रहती हैं और अपने साहस से दुश्मनों के दिलों में दहशत पैदा करती हैं।
नेहा भंडारी की कहानी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो देश सेवा के लिए आगे आना चाहती हैं। उनका संघर्ष और सफलता यह संदेश देती है कि देश की सेवा कोई पुरुष या महिला के आधार पर नहीं होती, बल्कि हिम्मत, समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा से होती है।
देश की सुरक्षा की इस महान कहानी को जानकर हर भारतीय को गर्व महसूस होना चाहिए। नेहा भंडारी जैसे बहादुर जवान देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। ऐसे ही वीरों की बदौलत हमारा देश हमेशा सुरक्षित और स्वतंत्र रहेगा। आइए हम सब भी उनके साहस और समर्पण को सलाम करें और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें।