दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आप नेता मनीष सिसोदिया द्वारा दायर जमानत याचिकाओं के संबंध में सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को अपना फैसला सुनाएगा। ये याचिकाएं कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों से संबंधित हैं।
न्यायालय की कार्यवाही और मुख्य दलीलें
6 अगस्त को जस्टिस बी आर गवई और के वी विश्वनाथन की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बेंच ने आदेश सुरक्षित रखने का फैसला करने से पहले सिसोदिया और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दोनों की दलीलें सुनी थीं।
प्रवर्तन निदेशालय का पक्ष
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तर्क दिया कि मामले में मुख्य संदिग्ध मनीष सिसोदिया इस घोटाले में गहराई से शामिल हैं और वह केवल राजनीतिक प्रेरणाओं का शिकार नहीं हैं। ईडी का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस वी राजू ने दावा किया कि सिसोदिया की संलिप्तता काफी है, जो राजनीतिक निशाना बनाए जाने के दावों के विपरीत है।
सिसोदिया की याचिका और एएसजी के प्रतिवाद
सिसोदिया ने अपनी पत्नी के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के आधार पर अंतरिम जमानत मांगी। हालांकि, एएसजी राजू ने यह कहते हुए जवाब दिया कि अगर मुकदमा आगे बढ़ता है, तो अतिरिक्त सबूत पेश किए जा सकते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सिसोदिया के दावों के विपरीत, अन्य जांचों के कारण मुकदमे में देरी नहीं हुई है। राजू ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सिसोदिया को सीधे मामले से जोड़ने वाले मजबूत सबूत हैं, उन्होंने बताया कि उपमुख्यमंत्री के रूप में उनकी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का मतलब है कि वे सभी संबंधित मामलों के लिए जवाबदेह हैं।