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आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का किया फैसला, कांग्रेस से गठबंधन नहीं, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Wednesday, October 9, 2024

मुंबई, 09 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है। AAP प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने बुधवार को कहा, 'हम ओवर कॉन्फिडेंट कांग्रेस और अहंकारी भाजपा से अकेले लड़ने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 10 सालों से दिल्ली विधानसभा में कांग्रेस के पास कोई सीट नहीं है, फिर भी AAP ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को तीन सीटें दीं। इसके बावजूद कांग्रेस को हरियाणा में सहयोगियों को साथ लेना जरूरी नहीं लगा। उन्होंने आरोप लगाया कि हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने I.N.D.I.A की पार्टियों को गंभीरता से नहीं लिया और गठबंधन नहीं किया। आखिर में कांग्रेस को अपने ओवर कॉन्फिडेंस के कारण हार का सामना करना पड़ा। वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और AAP में गठबंधन नहीं हो सका था। AAP ने 9 सीटें मांगी थीं, जिसे कांग्रेस ने ठुकरा दिया था। इसके बाद AAP ने राज्य की 90 सीटों में से 89 पर चुनाव लड़ा। हालांकि, पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली, कांग्रेस 37 सीटें ला सकी।

तो वहीं, AAP सांसद राघव चड्ढा ने कहा, हरियाणा विधानसभा चुनाव में BJP की जीत कम और कांग्रेस की हार ज्यादा है। हरियाणा में जनता ने बीजेपी को हटाने और बदलाव लाने के लिए वोट किया, लेकिन BJP को बहुमत मिला और उनकी सरकार बनी। हरियाणा में अगर एकजुट होकर चुनाव लड़ा जाता तो परिणाम कुछ और ही होते। देश में कई ऐसे राज्य हैं, जहां कांग्रेस BJP को नहीं हरा पा रही और यहां I.N.D.I.A के दलों के साथ चुनाव लड़ा जाए तो परिणाम अलग होंगे। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में स्थानीय पार्टियां खुद BJP को हरा सकती हैं। और कई राज्यों में कांग्रेस BJP से सीधी लड़ाई में कमजोर पड़ जाती है। अगर, यहां कांग्रेस I.N.D.I.A के साथ मिलकर चुनाव लड़ती है तो BJP को आसानी से हराया जा सकता है। साल 2015 और 2020 में अरविंद केजरीवाल और AAP ने आजाद भारत के इतिहास में सबसे बड़े जनादेश के साथ सरकार बनाई। साथ ही, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव का रिजल्ट के रुझानों के बीच AAP संयोजक और पूर्व दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने बयान जारी किया था। उन्होंने AAP के नगर निगम सदस्यों को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा था कि 'देखते हैं हरियाणा में परिणाम क्या आते हैं। इसका सबसे बड़ा सबक यह है कि चुनावों में कभी अधिक आत्मविश्वासी नहीं होना चाहिए। किसी भी चुनाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए। हर चुनाव और हर सीट कठिन होती है।'


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