मुंबई, 23 नवंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। जयपुर के सवाई मानसिंह हॉस्पिटल में मरीजों और उनके साथ आने वाले परिजनों की परेशानी को कम करने के लिए बिलिंग बंद करने पर विचार किया जा रहा है। सरकार ने पिछले दिनों हुई एक बैठक के बाद इस संबंध में कमेटी बनाकर प्रस्ताव मांगने के लिए कहा है। हालांकि इस प्रक्रिया को बंद करने में कई तकनीकी दिक्कतें भी आ सकती है। दरअसल, पिछले महीने रेजिडेंट्स डॉक्टर्स के प्रतिनिधियों संग सरकार की एक बैठक हुई थी। इस बैठक में मेडिकल एजुकेशन, हेल्थ डिपार्टमेंट के अधिकारियों के अलावा एसएमएस मेडिकल कॉलेज के भी प्रतिनिधि शामिल थे। इसमें रेजिडेंट्स डॉक्टर्स ने मरीजों की समस्या को कम करने की बात उठाई थी। इस पर कमेटी ने बिलिंग सिस्टम को खत्म करके उसका कोई दूसरा विकल्प शुरू करने पर विचार किया था।
वर्तमान में हॉस्पिटल की ओपीडी और आईपीडी में आने वाले मरीजों को डॉक्टर जांच लिखते हैं। इन जांच को करवाने के लिए मरीज या उनके परिजन बिल काउंटर पर जाकर बिल बनवाते हैं। राजस्थान के निवासियों के लिए एसएमएस में सभी जांचे फ्री होती हैं। इसके बाद भी इन मरीजों को जीरो अमाउंट का बिल जनरेट करके दिया जाता है। इसी बिलिंग सिस्टम को खत्म करने पर विचार किया जा रहा है।
तो वहीं, एसएमएस के प्रिंसिपल डॉ. दीपक माहेश्वरी ने बताया- हमारी कोशिश है कि मरीजों को कम से कम असुविधा हो। उनके इलाज के लिए कम से कम इधर-उधर जाना पड़े। बिलिंग बंद करने में कुछ तकनीकी समस्या आ सकती है। सबसे पहले तो राजस्थान के बाहर के मरीज अगर आते हैं तो उनसे सरकार पैसे लेती है। ऐसे में बिलिंग काउंटर चलाना जरूरी है। दूसरी तरफ ब्लड या यूरिन सैंपल देते समय ब्लड कलेक्शन ट्यूब या यूरिन कंटेनर पर बारकोड चिट चिपकाई जाती है। इसी से सिस्टम रीड करता है कि ये सैंपल किस मरीज का है और किसका नहीं? बारकोड चिट बनाने के लिए मरीज को बिल काउंटर पर आना पड़ता है। बिल जनरेट करवाना पड़ता है। प्रिंसिपल ने कहा, फिर भी हम कमेटी बनाकर इस पर विचार करेंगे कि इस व्यवस्था में क्या बदलाव किया जाए या दूसरा विकल्प तलाशा जाए, ताकि मरीज और उसके परिजन को राहत मिल सके।