मुंबई, 23 मार्च, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि संवैधानिक तरीकों से सभी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। जब संवाद होता है तो समाधान आसानी से मिल जाता है। जस्टिस गवई ने कहा, 'मणिपुर में जातीय संघर्ष से वहां के लोग बहुत परेशान हैं। हर को शांति बहाली चाहता है। कोई भी मौजूदा स्थिति को जारी रखने में दिलचस्पी नहीं रखता।' उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए उस राज्य (मणिपुर) का दौरा करना बहुत खुशी की बात है, जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस और भारतीय राष्ट्रीय सेना ने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी। जहां 1944 में पहली बार भारतीय ध्वज फहराया गया था। दरअसल, जस्टिस गवई ने इंफाल में मणिपुर हाईकोर्ट की स्थापना की 12वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही। शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के 6 जज जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह वाला प्रतिनिधिमंडल मणिपुर पहुंचा था।
जस्टिस गवई ने कहा, हमारी मणिपुर यात्रा न केवल देश के सबसे सम्मानित राष्ट्रीय नायकों में से एक को श्रद्धांजलि देने के लिए थी, बल्कि देश की सबसे खूबसूरत भूमि में से एक की यात्रा करने के लिए भी थी। हम संविधान को अपनाने के 75 साल मना रहे हैं। जब हम भारत की तुलना अपने पड़ोसी देशों से करते हैं, तो हमें एहसास होता है कि हमारे संविधान ने हमें मजबूत और एकजुट रखा है। जैसे महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश या जम्मू और कश्मीर भारत का हिस्सा हैं, मणिपुर और अन्य सात बहनें भी इस देश का हिस्सा हैं। हम देश की एकता के लिए प्रयास करते हैं। मैंने और मेरे सहयोगियों ने फैसला किया था कि मणिपुर की अपनी यात्रा के दौरान वे उन लोगों से बातचीत करेंगे जो पिछले दो साल से संघर्ष के कारण पीड़ित हैं। हमने चुराचांदपुर और बिष्णुपुर में राहत शिविरों का दौरा किया और दोनों समुदायों (मैतेई-कुकी) के लोगों से बातचीत की।