मुंबई, 04 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने देश के पहले राष्ट्रपति और पूर्व प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर्रहमान को 'राष्ट्रपिता' का दर्जा खत्म कर दिया है। मंगलवार को जारी किए गए एक अध्यादेश के तहत कानून से 'राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान' शब्द को हटा दिया गया है। इसके साथ ही 1971 के स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्रता सेनानी की परिभाषा में भी बदलाव किया गया है। कुछ दिन पहले ही सरकार ने नए करेंसी नोटों से मुजीबुर्रहमान की तस्वीर को भी हटा दिया था। अब जारी होने वाले नए नोटों पर हिंदू और बौद्ध मंदिरों की तस्वीरें शामिल की जाएंगी, हालांकि पुराने नोट और सिक्के पहले की तरह चलन में बने रहेंगे।
नए आदेश के तहत स्वतंत्रता सेनानी की परिभाषा में उन नागरिकों को शामिल किया गया है जिन्होंने 26 मार्च से 16 दिसंबर 1971 के बीच स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था, भारत में ट्रेनिंग ली थी, पाकिस्तानी सेना के खिलाफ हथियार उठाए थे या अन्य रूप में युद्ध में योगदान दिया था। सशस्त्र बलों, ईस्ट पाकिस्तान राइफल्स, पुलिस, मुक्तिबाहिनी, मुजीबनगर सरकार और उसके अनुषंगी बलों, नौसेना कमांडो और अंसार के सदस्यों को भी इस श्रेणी में रखा गया है। इसके अलावा युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना और उनके सहयोगियों द्वारा उत्पीड़ित की गई महिलाओं यानी वीरांगनाओं, और युद्ध के दौरान घायल सेनानियों का इलाज करने वाले डॉक्टरों, नर्सों व मेडिकल सहायकों को भी स्वतंत्रता सेनानी की मान्यता दी जाएगी।
स्वतंत्रता संग्राम की परिभाषा से यह अंश हटा दिया गया है कि यह आंदोलन शेख मुजीबुर्रहमान की अपील पर शुरू हुआ था। अब इसे 26 मार्च से 16 दिसंबर 1971 के बीच चले एक सशस्त्र संघर्ष के रूप में परिभाषित किया गया है जो बांग्लादेश के नागरिकों ने समानता, मानव गरिमा और सामाजिक न्याय पर आधारित लोकतांत्रिक राष्ट्र की स्थापना के लिए लड़ा था। जनवरी 2025 में पाठ्य पुस्तकों में भी बदलाव किया गया था, जिसमें बताया गया कि बांग्लादेश को स्वतंत्रता जियाउर रहमान ने दिलाई थी, न कि मुजीबुर्रहमान ने। जियाउर रहमान बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के पति थे, जो बाद में राष्ट्रपति बने और 1981 में उनकी हत्या कर दी गई।
बांग्लादेश में लंबे समय से यह विवाद बना रहा है कि आजादी की घोषणा किसने की थी। एक ओर अवामी लीग का कहना है कि यह घोषणा शेख मुजीबुर्रहमान ने की थी, जबकि बीएनपी पार्टी का दावा है कि इसकी घोषणा जियाउर रहमान ने की थी। अगस्त 2024 में हुए तख्तापलट के बाद से शेख मुजीबुर्रहमान से जुड़ी कई निशानियों पर हमले किए गए हैं, जिनमें ढाका में उनकी मूर्ति का तोड़ा जाना और सार्वजनिक स्थानों से नेमप्लेट हटाए जाना शामिल है। इसके साथ ही उनकी स्मृति से जुड़े आठ राष्ट्रीय अवकाशों को भी रद्द कर दिया गया है। शेख मुजीबुर्रहमान ने पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश को स्वतंत्र राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और वह देश के पहले राष्ट्रपति थे। 15 अगस्त 1975 को उनकी उनके घर पर ही हत्या कर दी गई थी। उनकी बेटी शेख हसीना बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री रही हैं।