मुंबई, 01 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। राजस्थान की 6,759 ग्राम पंचायतों के चुनाव स्थगित करने के मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से फिर पूछा है कि वह पंचायतों के चुनाव कब तक कराएगी। जस्टिस इंद्रजीत सिंह की खंडपीठ ने गिरिराज सिंह देवंदा की जनहित याचिका पर सुनवाई टालते हुए राज्य सरकार को 4 फरवरी के आदेश की पालना में इन पंचायतों का चुनाव शेड्यूल बताने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही 7 अप्रैल को अगली सुनवाई होगी। दरअसल, हाईकोर्ट ने 4 फरवरी को सरकार से पूछा था कि जिन पंचायतों के चुनाव सरकार ने स्थगित किए हैं, वह इनके चुनाव कब तक कराएगी। इस पर राज्य सरकार ने अपना जवाब पेश किया था, जिसमें तारीख नहीं बताई थी। सरकार के जवाब पर आपत्ति जताते हुए याचिकाकर्ता के एडवोकेट प्रेमचंद देवंदा की ओर से कहा गया था कि सरकार ने अदालती आदेश की पालना नहीं की। अदालत ने सरकार से चुनाव शेड्यूल बताने के लिए कहा था, लेकिन सरकार के जवाब में इसका कोई उल्लेख ही नहीं है।
सरकार ने अपने जवाब में कहा था कि प्रदेश में 'वन स्टेट वन इलेक्शन' की अवधारणा का परीक्षण प्रस्तावित है। परीक्षण के लिए उच्चस्तरीय समिति का भी गठन किया जाना है। समिति द्वारा धन, श्रम और समय की बचत के साथ ही नगरीय निकाय और पंचायती राज संस्थाओं के सशक्तिकरण के लिए वन स्टेट वन इलेक्शन की अवधारणा का परीक्षण प्रस्तावित है। इसके साथ ही सरकार ने कहा कि पिछली सरकार ने कई नए जिले बना दिए थे। इनमें से हमने 9 जिलों को समाप्त कर दिया है। ऐसे में जिलों की सीमाओं के निर्धारण के साथ ही प्रदेश मे पंचायतों के पुनर्गठन और नगर निकायों के परिसीमन का काम चल रहा हैं। इसलिए सरकार ने इन पंचायतों के चुनाव स्थगित किए हैं। सरकार ने अपने जवाब में यह भी कहा कि जिन पंचायतों के चुनाव स्थगित किए गए हैं। उनमें सरकार को प्रशासक लगाने का अधिकार है। हमने राजस्थान पंचायत राज अधिनियम-1994 की धारा-95 के तहत प्रशासक लगाए हैं। एक्ट हमें प्रशासक लगाने का अधिकार देता है। लेकिन, एक्ट में कहीं भी यह नहीं बताया गया है कि किसे प्रशासक लगाया जाए और किसे नहीं।