मुंबई, 21 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कश्मीरी आतंकी यासीन मलिक को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट में उसे देख जज नाराज हो गए। जस्टिस सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की बैंच ने कहा कि हमने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया था, जिसमें कहा गया हो कि उसे व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होना है। इसके मामले में वर्चुअली सुनवाई होगी। टेरर फंडिंग केस में दोषी ठहराए जाने के बाद से यासीन तिहाड़ जेल में उम्र कैद की सजा काट रहा है। यासीन को आज जम्मू अदालत के आदेश के खिलाफ CBI की याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया था। यासीन के केस की सुनवाई कर रहे जस्टिस दीपांकर दत्ता ने इस केस से खुद को अलग कर लिया है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि इस केस की सुनवाई चार हफ्ते बाद की जाएगी। इसकी सुनवाई दूसरी बैंच करेगी, जस्टिस दत्ता उसके सदस्य नहीं होंगे। उन्होंने कहा, अगर यासीन को अपनी कोई बात रखनी होगी तो वो वर्चुअली जुड़ेगा। उसे कोर्ट में पेश नहीं किया जाएगा।
आपको बता दे, यासीन मलिक को 2022 में NIA कोर्ट ने टेरर फंडिंग केस, UAPA और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में उम्र कैद की सजा सुनाई थी। यासीन को कई धाराओं में सजा मिली थी। दो मामलों में उम्र कैद और अन्य मामलों में 10 साल सजा सुनाई गई है। सभी सजाएं साथ साथ चलेंगी। यासीन पर पाकिस्तान के समर्थन से कश्मीर में आतंकी हमलों के लिए फंडिंग और आतंकियों को हथियार मुहैया कराने से जुड़े कई केस दर्ज थे। मलिक पर 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर में वायुसेना के जवानों पर हमला करने का आरोप है। इस घटना में 40 लोग घायल हुए थे, जबकि चार जवान शहीद हो गए थे। स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना उनमें से एक थे। यह सभी एयरपोर्ट जाने के लिए गाड़ी का इंतजार कर रहे थे, तभी आतंकियों ने उन पर हमला कर दिया था। इसके साथ ही मलिक पर पाकिस्तानी आतंकियों के साथ संबंध रखने के भी आरोप हैं। साथ ही जम्मू-कश्मीर के पूर्व CM मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण के भी आरोप लगे हैं। 1990 में कश्मीरी पंडितों की हत्या कर उन्हें घाटी छोड़ने पर मजबूर करने में भी यासीन की महत्वपूर्ण भूमिका रही।