कुछ लोगों के लिए किताबें पढ़ना उनकी ज़िन्दगी का अहम् हिस्सा होता है। वह अपने घर में बैठे बैठे दुनिया के अलग अलग लोगों के अनुभव को पढ़कर ज्ञान प्राप्त करते हैं। इनमे से कुछ लोग ऐसे भी होते है जिन्हे पढ़ने के साथ साथ घूमना भी पसंद होता है। आज हम आपके लिए ऐसे ही कुछ किताबें लेकर आये है जिन्हे पढ़कर आप अपने घर बैठे दुनिया की सैर कर सकते हैं।
फिक्शनल एडवेंचर्स से लेकर पर्सनल अनुभव पर लिखे मेमोयर्स , इन क्लासिक किताबो से आप दुनिया का अनुभव ले सकेंगे।
1. अराउंड द वर्ल्ड इन 80 डेज -जूल्स वेर्ने
1873 में लिखी यह किताब आज तक सबसे बेहतरीन एडवेंचर स्टोरी में गिनी जाती है। यह कहानी है फिलस फोग की जो 80 दिन में दुनिया घूमने की शर्त को स्वीकार करता हैं। कैसे वह लंदन छोड़कर ईजिप्ट , भारत, सिंगापुर, होन्ग कोंग , जापान और अमेरिका होते हुए अपने घर वापस पहुंचता है। यह किताब इतनी सफल हुई थी की इसपर फिल्में, टीवी शोज बनाये गए हैं। 1956 में आयी इसी नाम की फिल्म को ऑस्कर में बेस्ट पिक्चर का अवार्ड मिला था।
2. द अल्केमिस्ट - पाउलो कोएलो
ब्राज़ील के राइटर पाउलो कोएलो की यह इंस्पिरेशनल किताब स्पेन के एक चरवाहा की है जिसको छुपे खजाने का सपना आता है। उस खजाने को ढूंढते वह सहारा डेजर्ट से घूमते हुए इजिप्ट पहुंचता है और उसके साथ साथ क्या होता है इस किताब की कहानी है।
3. द लॉस्ट सिटी ऑफ़ Z - डेविड ग्रान
2009 में आयी इस किताब में अमेरिकन राइटर डेविड ग्रान ने ब्रिटिश कर्नल पर्सी की गुमी हुई सभ्यता की खोज का सफर बताया है, जिसे उसने Z का नाम दिया है। वह अमेजन के जंगलों में 1925 में गायब हो गया था अपने दोस्त के साथ और कभी नहीं मिल पाए। ग्रान ने जियोग्राफी, हिस्ट्री, साइंस और ट्रेवल को एक साथ मिलकर नैरेटिव लिखा है। इस किताब पर इसी नाम से एक फिल्म भी बनाई गयी है।
4. सेवन इयर्स इन तिब्बत : माय लाइफ बिफोर, ड्यूरिंग एंड आफ्टर - हेनरिच हर्रेर
विश्व युद्ध द्वितीय के बाद 1944 में एक ऑस्ट्रिया पहाड़ी हेनरिच हर्रेर ब्रिटिश कैंप से भागकर तिब्बत पहुंचा था और वहां पहुंचकर उसने सात साल बिताए और वह 14 दलाई लामा का टीचर बना। दलाई लामा के साथ अपने अनुभव को इस किताब में शेयर करने के साथ साथ हेनरिच ने तिब्बती समाज, कल्चर के बारे में इस किताब में बताया है।
5. अ मूवेबल फीस्ट - अर्नेस्ट हेमिंग्वे
हेमिंग्वे को बीसवीं सदी का सबसे बड़ा राइटर माना जाता है। वह जिस तरह से किसी शहर की गलियों का वर्णन करते थे ऐसा कोई नहीं कर सका। इसी वजह से उनका यह मेमॉयर अ मूवेबल फीस्ट पेरिस शहर का गाइड का काम करता हैं। यह किताब 1964 में हेमिंग्वे के मरने के तीन साल बाद पब्लिश की गयी। पेरिस में उनके रहन सहन को बताती यह किताब किसी भी ट्रैवलर को पसंद आएगी।
Astha