मुंबई, 24 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के कारण दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है, जिससे दिवाली के त्यौहार से कुछ दिन पहले निवासियों में व्यापक श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा हो रही हैं। अस्पतालों में प्रदूषण से जुड़ी खांसी और श्वसन संबंधी बीमारियों के रोगियों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है।
चिकित्सा पेशेवर अब निवासियों को प्रदूषण के स्तर में कमी आने और वायु गुणवत्ता में सुधार होने तक सुबह और शाम की सैर सहित बाहरी गतिविधियों से बचने की सलाह दे रहे हैं।
क्या आपको सुबह-सुबह सैर करना बंद कर देना चाहिए?
नई दिल्ली के पीएसआरआई अस्पताल में पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. जीसी खिलनानी ने दिल्ली-एनसीआर के निवासियों से प्रदूषित हवा से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने के लिए, खासकर सुबह और शाम को बाहर जाने से बचने का आग्रह किया है।
डॉ. खिलनानी कहते हैं कि हवा न चलने के कारण सुबह के समय पार्टिकुलेट मैटर जमीन के करीब बैठ जाता है। नतीजतन, जो लोग सुबह-सुबह सैर पर जाते हैं, वे ताजी हवा के बजाय संकेंद्रित प्रदूषण को सांस के साथ अंदर लेते हैं। इसके अलावा, सुबह की कसरत के दौरान ऑक्सीजन की बढ़ती मांग के कारण गहरी सांस अंदर जाती है, जिससे प्रदूषक तत्व अंदर चले जाते हैं। ये हानिकारक कण और कार्बन फेफड़ों और रक्तप्रवाह में प्रवेश करते हैं, जिससे स्वास्थ्य को गंभीर खतरा होता है।
तो क्या रात में टहलना एक विकल्प है?
डॉ. खिलनानी रात में टहलने से भी परहेज करने की सलाह देते हैं, क्योंकि शाम को तापमान गिर जाता है, जिससे प्रदूषण की परत फिर से जमीन के पास जम जाती है। इससे शाम 6-7 बजे के बाद स्मॉग बनता है, जिसमें प्रदूषक और धूल की मात्रा बहुत अधिक होती है। नतीजतन, शाम की सैर भी आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
डॉक्टर सुबह और शाम के समय घर से बाहर निकलने और दरवाजे और खिड़कियां बंद रखने की भी सलाह देते हैं।
जो लोग अपनी रोजाना की सैर को छोड़ना नहीं चाहते, उनके लिए डॉ. खिलनानी सूर्योदय के बाद टहलने की सलाह देते हैं, जब सूरज की रोशनी प्रदूषण को फैलाने में मदद करती है। सुबह 8-9 बजे के बाद हवा की गुणवत्ता तुलनात्मक रूप से बेहतर होती है, जिससे यह बाहरी गतिविधियों और व्यायाम के लिए सुरक्षित समय बन जाता है।