भारत को ओलंपिक और एशियन गेम्स जैसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय खेलों में गौरव दिलाने वाले कुछ खिलाड़ियों को उस समय तगड़ा झटका लगा, जब राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) ने डोपिंग अपराधों में संलिप्त पाए जाने पर कुल 8 खिलाड़ियों पर प्रतिबंध लगा दिया। इस सूची में ट्रैक एंड फील्ड, वेटलिफ्टिंग, बॉक्सिंग, कुश्ती और कबड्डी जैसे विविध खेलों से जुड़े खिलाड़ी शामिल हैं। सबसे चौंकाने वाला नाम है सुम्मी कालीरमन का, जिन्होंने भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान दिलाया था।
सुम्मी कालीरमन पर दो साल का बैन
सुम्मी कालीरमन, जिन्होंने विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 400 मीटर मिक्स्ड रिले में ब्रॉन्ज मेडल जीता था, अब दो साल के लिए खेल से बाहर रहेंगी। नाडा के डोपिंग रोधी अनुशासन पैनल (ADDP) ने उन्हें प्रतिबंधित पदार्थ क्लोमीफीन के सेवन का दोषी पाया है। यह प्रतिबंध 2024 में लिए गए सैंपल की जांच के बाद लगाया गया है। 22 वर्षीय सुम्मी को पहले अस्थायी रूप से निलंबित किया गया था, लेकिन अब उन्हें आधिकारिक रूप से बैन कर दिया गया है।
अन्य ट्रैक एंड फील्ड खिलाड़ी भी चपेट में
सिर्फ सुम्मी ही नहीं, लंबी दूरी के धावक श्रीराग ए एस और रेशमा दत्ता केवटे पर भी बैन लगाया गया है। श्रीराग को 5 साल और रेशमा को 4 साल के लिए प्रतिबंधित किया गया है। इन खिलाड़ियों से देश को भविष्य में पदकों की उम्मीद थी, लेकिन अब उनके करियर पर सवालिया निशान लग गया है।
अन्य खेलों के खिलाड़ी भी शामिल
डोपिंग के मामलों में ट्रैक एंड फील्ड के अलावा वेटलिफ्टिंग, बॉक्सिंग, रेसलिंग और कबड्डी जैसे खेलों के खिलाड़ी भी लपेटे में आ गए हैं।
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वेटलिफ्टर सिमरनजीत कौर पर 5 साल का प्रतिबंध लगाया गया है।
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मुक्केबाज रोहित चमोली पर 2 साल का बैन लगा है।
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पहलवान आरजू को 4 साल के लिए प्रतिबंधित किया गया है।
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पहलवान अनिरुद्ध अरविंद पर 3 साल का प्रतिबंध लगाया गया है।
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कबड्डी खिलाड़ी मोहित नांदल को भी 4 साल के लिए खेल से बाहर कर दिया गया है।
गंभीर है डोपिंग की समस्या
यह घटनाक्रम भारत में डोपिंग की गंभीर स्थिति को दर्शाता है। नाडा पिछले कुछ वर्षों में लगातार प्रयास कर रही है कि भारतीय खिलाड़ियों को डोपिंग से दूर रखा जाए, लेकिन हालिया मामले दर्शाते हैं कि जागरूकता और निगरानी दोनों की और जरूरत है।
विशेषज्ञों का मानना है कि कई बार खिलाड़ी जानबूझकर नहीं बल्कि गलत जानकारी या ट्रेनिंग सपोर्ट टीम की सलाह के चलते भी ऐसे प्रतिबंधित पदार्थों का सेवन कर लेते हैं। लेकिन नियम स्पष्ट हैं—चाहे जानबूझकर हो या अनजाने में, डोपिंग पर सख्त कार्रवाई की जाती है।
भविष्य पर असर
इन प्रतिबंधों के चलते भारत के कई युवा और संभावित पदक विजेता खिलाड़ी अब कम से कम अगले कुछ सालों तक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। यह देश की मेडल संभावनाओं पर भी असर डाल सकता है, खासकर तब जब ओलंपिक 2028 और अगले एशियन गेम्स की तैयारियां जोरों पर हैं।
निष्कर्ष
नाडा की इस कार्रवाई से यह संदेश स्पष्ट है कि डोपिंग के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस नीति अपनाई जाएगी। खिलाड़ियों, कोचों और खेल संगठनों को अब और अधिक सतर्क रहने की जरूरत है, ताकि आने वाली पीढ़ियों के सामने ईमानदार खेल भावना की मिसाल पेश की जा सके।