ईरान और इजरायल के बीच चले 12 दिन के भीषण संघर्ष के बाद सीजफायर की घोषणा के बाद अब ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने गुरुवार को टेलीविजन पर अपना पहला संबोधन दिया। इस ऐतिहासिक संबोधन में खामेनेई ने ईरान की "जीत" का ऐलान किया और जनता को इस उपलब्धि पर बधाई दी। साथ ही उन्होंने अमेरिका पर भी तीखा हमला बोला और इसे इस्लामिक रिपब्लिक की रणनीतिक सफलता बताया।
“हम वो राष्ट्र नहीं जो हथियार डाल दे” – खामेनेई का तीखा संदेश
अपने संबोधन की शुरुआत में खामेनेई ने कहा:
“जो लोग ईरानी राष्ट्र के इतिहास और जज़्बे को जानते हैं, उन्हें पता है कि हम न कभी झुके हैं, न झुकेंगे। ईरान उन मुल्कों में से नहीं है जो डर के मारे हथियार डाल दे। इस युद्ध में हमने अपने दुश्मनों के मंसूबों को चकनाचूर कर दिया है।”
उन्होंने इस संघर्ष को ईरानी संकल्प शक्ति का प्रतीक बताया और इसे “दुश्मनों के खिलाफ नैतिक और सैन्य विजय” कहा।
बंकर से दिया गया संबोधन: खामेनेई की सुरक्षा को लेकर बढ़ी चिंता
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अयातुल्ला खामेनेई का यह संबोधन राजधानी तेहरान के एक सुरक्षित बंकर से किया गया था। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ईरानी सेना को डर था कि युद्धविराम के बाद भी इजरायल या अमेरिका किसी भी वक्त खामेनेई को निशाना बना सकते हैं।
बंकर से किए गए इस भाषण ने दुनिया को यह संकेत भी दिया कि ईरान अब भी सतर्क है और खतरा टला नहीं है।
🇮🇱 इजरायल पर आरोप: “अमेरिका को जंग में उतरना पड़ा”
खामेनेई ने अपने भाषण में इजरायल और अमेरिका दोनों पर कड़े आरोप लगाए। उन्होंने कहा:
“अमेरिका को शुरुआत में लगा कि उसका जायोनिस्ट साथी (इजरायल) ईरान से लड़ लेगा। लेकिन जैसे ही इजरायल की स्थिति कमजोर होने लगी, अमेरिका को मैदान में उतरना पड़ा। अगर अमेरिका ने कदम न बढ़ाया होता तो इजरायल पूरी तरह से ध्वस्त हो जाता।”
इस बयान से ईरान ने यह दर्शाने की कोशिश की कि वह अकेले ही दोनों शक्तियों का सामना कर सकता है, और युद्ध के मैदान में वह “कभी पीछे नहीं हटेगा।”
“अमेरिका के चेहरे पर पड़ा तमाचा”
अपने तीखे भाषण में खामेनेई ने अमेरिका को निशाना बनाते हुए कहा:
“इस लड़ाई से हमें कोई भौतिक लाभ नहीं मिला, लेकिन हमने यह साबित कर दिया कि ईरान को धमकाना आसान नहीं है। इस्लामिक रिपब्लिक की यह जीत अमेरिका के चेहरे पर एक तमाचा है।”
इस बयान से ईरान ने यह साफ कर दिया कि भले ही युद्ध रुक गया हो, लेकिन राजनीतिक युद्ध अभी जारी है।
सीजफायर के बावजूद तनाव बरकरार
हालांकि मंगलवार को युद्धविराम की घोषणा हुई थी, लेकिन इसके तुरंत बाद इजरायल ने आरोप लगाया कि ईरान अब भी मिसाइल हमले कर रहा है। इसके जवाब में इजरायल ने भी अपने लड़ाकू विमान तैनात कर दिए। ऐसे में यह स्पष्ट है कि सीजफायर स्थायी नहीं है और दोनों देशों के बीच तनाव फिर से युद्ध में तब्दील हो सकता है।
विश्लेषण: क्या यह वाकई ईरान की जीत है?
राजनीतिक और सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि:
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ईरान ने सैन्य ताकत से अधिक मानसिक जीत हासिल की है, क्योंकि उसने इजरायल और अमेरिका जैसे ताकतवर राष्ट्रों के खिलाफ खड़ा रहने का साहस दिखाया।
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इजरायल और अमेरिका की खुफिया एजेंसियां अब ईरान की बढ़ती सैन्य क्षमता को लेकर चिंतित हैं।
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इस युद्ध ने मध्य पूर्व में नई ध्रुवीकरण की शुरुआत कर दी है, जहां कई छोटे देश अब अपनी रणनीति पर पुनर्विचार कर सकते हैं।
निष्कर्ष
अयातुल्ला अली खामेनेई का यह संबोधन केवल एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि ईरान की अंतरराष्ट्रीय छवि को मज़बूत करने की कोशिश है। हालांकि युद्धविराम की घोषणा हो चुकी है, लेकिन जिस तरह से दोनों पक्षों में बयानबाज़ी और सैन्य तनाव अब भी जारी है, उससे यह अंदेशा लगाया जा सकता है कि असली युद्ध अभी थमा नहीं है, बल्कि एक नई कूटनीतिक लड़ाई शुरू हो चुकी है।