जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तानी गोलाबारी से हुए व्यापक नुकसान के मद्देनज़र केंद्र सरकार ने राहत एवं पुनर्निर्माण के लिए त्वरित कदम उठाए हैं। इस गोलीबारी में घर, स्कूल, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और व्यावसायिक प्रतिष्ठान भारी क्षतिग्रस्त हुए, जिससे सैकड़ों परिवार बेघर हो गए। इस आपदा ने न केवल जनजीवन को तहस-नहस किया बल्कि सीमावर्ती क्षेत्र की सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता पर भी गंभीर प्रभाव डाला।
केंद्र सरकार ने घोषित किया अतिरिक्त मुआवजा
गृह मंत्रालय ने इस संकट को विशेष मामला मानते हुए क्षतिग्रस्त घरों के पुनर्निर्माण के लिए वित्तीय सहायता का ऐलान किया। पूरी तरह से क्षतिग्रस्त मकानों के लिए दो लाख रुपये और आंशिक क्षति वाले मकानों के लिए एक लाख रुपये का अतिरिक्त मुआवजा दिया जाएगा। इस मद में कुल 25 करोड़ रुपये की धनराशि 2060 घरों के लिए आवंटित की गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुआवजे को तुरंत लागू करने के निर्देश दिए हैं ताकि प्रभावित परिवारों को जल्द से जल्द राहत मिल सके।
मृतकों के परिवारों को मिली नौकरी
अमित शाह ने 29-30 मई 2025 को पुंछ का दौरा किया, जहां उन्होंने गोलाबारी में जान गंवाने वालों के परिजनों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी के नियुक्ति पत्र सौंपे। यह पहल उन परिवारों को आर्थिक स्थिरता प्रदान करने के उद्देश्य से की गई है, जो इस त्रासदी में अपने प्रियजनों को खो चुके हैं। इसके अलावा सीमावर्ती इलाकों में हुए नुकसान के लिए पहले से तय मुआवजा भी प्रभावितों को तत्काल दिया गया।
प्रशासन की त्वरित प्रतिक्रिया और राहत कार्य
ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीमावर्ती जिलों में जारी गोलाबारी के कारण प्रशासन को तुरंत अलर्ट मोड में आना पड़ा। रिहायशी इलाकों के साथ-साथ धार्मिक स्थलों पर हमलों ने हालात को और जटिल बना दिया। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने राहत एवं बचाव कार्यों की शुरुआत की। कुल 3.25 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया, जिनमें से करीब 15,000 लोगों को 397 आश्रय केंद्रों में ठहराया गया। इन केंद्रों पर प्रभावितों को भोजन, पानी, बिजली, स्वास्थ्य सुविधाएं और अन्य आवश्यक सहायता प्रदान की गई।
स्वास्थ्य सेवाओं को मिली प्राथमिकता
स्वास्थ्य सेवाओं पर विशेष ध्यान देते हुए 394 एम्बुलेंस तैनात की गईं, जिनमें से 62 अकेले पुंछ जिले में थी। इसके साथ ही 2818 सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स को विभिन्न आपातकालीन सेवाओं जैसे स्वास्थ्य, अग्नि नियंत्रण, पशुपालन तथा जरूरी सप्लाई की व्यवस्था के लिए लगाया गया। ये स्वयंसेवक 24 घंटे प्रभावितों की मदद में जुटे रहे, जिससे आपात स्थिति में आवश्यक सहायता उपलब्ध हो सकी और व्यवस्था सुचारू बनी रही।
सामाजिक स्थिरता एवं पुनर्निर्माण की दिशा में कदम
गोलीबारी की इस तबाही के बाद केंद्र सरकार की यह पहल न केवल प्रभावित परिवारों को राहत दे रही है बल्कि इस क्षेत्र में स्थिरता बहाल करने का भी एक महत्वपूर्ण कदम है। मुआवजे के साथ नौकरी प्रदान करना उन परिवारों के लिए आशा की किरण है, जिन्हें अपनी रोजी-रोटी की चिंता थी। साथ ही प्रशासन द्वारा राहत एवं बचाव कार्यों में लगाई गई सक्रियता ने प्रभावितों के जीवन में कुछ हद तक सामान्यता लौटाने में मदद की है।
निष्कर्ष
ऑपरेशन सिंदूर के बाद जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में हुई गोलाबारी से हुए भारी नुकसान और तबाही के बीच केंद्र सरकार तथा स्थानीय प्रशासन ने त्वरित और व्यापक राहत कार्यों को अंजाम दिया है। वित्तीय सहायता, नौकरी देने जैसे कड़े कदमों के साथ-साथ बचाव एवं पुनर्वास के प्रयास जारी हैं। इन कदमों से प्रभावित परिवारों को न केवल तत्काल राहत मिली है बल्कि भविष्य के लिए एक नया विश्वास भी मिला है।
इस पूरी प्रक्रिया ने यह संदेश दिया है कि केंद्र सरकार और राज्य प्रशासन किसी भी संकट के समय पीड़ितों के साथ खड़ा रहता है और उनकी रक्षा तथा पुनर्वास के लिए हर संभव प्रयास करता है। आगामी समय में इन जिलों के पुनर्निर्माण और सामाजिक स्थिरता के लिए और भी व्यापक योजनाएं लागू करने की तैयारी की जा रही है, ताकि सीमावर्ती इलाकों में शांति और विकास कायम रहे।