अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमिर जेलेंस्की के बीच हुई बहस पूरी दुनिया ने देखी। सोशल मीडिया पर दोनों नेताओं के बीच हुई इस गरमागरम बहस का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। ट्रंप ने बैठक के तुरंत बाद सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए जेलेंस्की पर "अमेरिका का अनादर" करने का आरोप लगाया। वहीं, जेलेंस्की ने अपने दौरे को तय समय से पहले समाप्त कर दिया। इसके तुरंत बाद यूरोप के कई बड़े नेताओं ने यूक्रेन को अपना समर्थन देने की घोषणा कर दी।
बिना लंच के बाहर निकाले गए जेलेंस्की
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप और जेलेंस्की की बहस इतनी तीखी हो गई कि ट्रंप ने उन्हें बिना लंच कराए ही जाने के लिए कह दिया। इस घटनाक्रम के बाद दोनों नेताओं के बीच कोई बातचीत नहीं हो पाई। इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि अमेरिका अब यूक्रेन के साथ अपने संबंधों को पुनः परिभाषित कर रहा है।
ट्रंप के साथ बैठक के बाद जेलेंस्की का पहला बयान
जेलेंस्की ने सोशल मीडिया पर लिखा, “धन्यवाद, अमेरिका। आपके समर्थन के लिए धन्यवाद। इस यात्रा के लिए धन्यवाद। धन्यवाद, अमेरिकी राष्ट्रपति, कांग्रेस और अमेरिकी लोगों को। यूक्रेन को न्यायपूर्ण और स्थायी शांति की आवश्यकता है, और हम ठीक उसी के लिए काम कर रहे हैं।”
यूरोप ने बढ़ाया यूक्रेन की ओर हाथ
अमेरिका के इस बदले रुख के बाद यूरोपीय देशों ने तेजी से यूक्रेन के समर्थन में बयान जारी किए।
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फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा, ”रूस एक हमलावर है। यूक्रेन के लोग ही इस हमले के शिकार हैं।” उन्होंने यह बयान पुर्तगाल में पत्रकारों से बातचीत के दौरान दिया और इसे सोशल मीडिया पर भी साझा किया।
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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने यूक्रेन के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हुए कहा, “कनाडा न्यायपूर्ण और स्थायी शांति प्राप्त करने में यूक्रेन और यूक्रेनवासियों के साथ खड़ा रहेगा।”
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नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोरे और चेक गणराज्य के राष्ट्रपति पेट्र पावेल ने भी यूक्रेन को समर्थन देने की घोषणा की।
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नीदरलैंड के विदेश मंत्री कैस्पर वेल्डकैंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “अभी-अभी अपने यूक्रेनी मित्र और सहकर्मी एंड्री सिबिहा से बात की। मैंने यूक्रेन के लिए अपना पूरा समर्थन दोहराया, चाहे जो भी करना पड़े, जितना भी समय लगे।”
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स्वीडन के प्रधानमंत्री ऑफिस की तरफ से भी X पर पोस्ट किया गया, “स्वीडन यूक्रेन के साथ खड़ा है। आप न केवल अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे हैं, बल्कि पूरे यूरोप के लिए भी लड़ रहे हैं।”
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आयरलैंड के उप प्रधानमंत्री साइमन हैरिस, जर्मनी की निवर्तमान विदेश मंत्री एनालेना बैरबॉक, और पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने भी सोशल मीडिया पर यूक्रेन को समर्थन देने का संदेश दिया और कहा, “यूक्रेन अकेला नहीं है।”
क्या यह अमेरिका-यूक्रेन संबंधों का अंत है?
इस पूरे घटनाक्रम के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या अमेरिका अब यूक्रेन को समर्थन देना बंद कर देगा? विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की इस प्रतिक्रिया से यूक्रेन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नुकसान हो सकता है। हालांकि, यूरोप की बढ़ती प्रतिबद्धता यूक्रेन को इस संघर्ष में मजबूती से खड़े रहने का अवसर दे सकती है।
निष्कर्ष
ट्रंप और जेलेंस्की के बीच हुई इस तीखी बहस ने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है। अमेरिका की प्राथमिकता बदल रही है, लेकिन यूरोपीय देशों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे यूक्रेन के साथ खड़े हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अमेरिका वास्तव में यूक्रेन से अपना समर्थन वापस लेता है, या फिर यह सिर्फ एक कूटनीतिक दांव है।