मुंबई, 05 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। अमेरिका में इसी साल 5 नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं। इस बीच देश में शरणार्थी संकट एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। विपक्षी नेता डोनाल्ड ट्रम्प से लेकर दुनिया के सबसे रईस शख्स इलॉन मस्क तक अवैध प्रवासी मुद्दे को लेकर बाइडेन सरकार पर काफी हमलावर रहे हैं। जनता में भी अवैध शरणार्थी के मुद्दे को लेकर काफी नाराजगी है। इस बीच राष्ट्रपति बाइडेन ने बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने अवैध प्रवासी संकट से जुड़े एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया है। इससे बिना इजाजत के अमेरिका जाने वाले अवैध प्रवासियों के लिए शरण लेना आसान नहीं रह जाएगा। इस आदेश में यह प्रावधान है कि यदि दक्षिणी सीमा पार कर अवैध रूप से देश में आने वाले शरणार्थियों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तो उनके आवेदन तत्काल खारिज किए जा सकते हैं।
वहीं, व्हाइट हाउस ने अवैध प्रवासियों से जुड़े नए प्रस्ताव की घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिका अपनी सीमाओं को “सुरक्षित” रखने के लिए ये कदम उठा रहा है। हालांकि व्हाइट हाउस ने इसमें ये भी कहा है कि ये कार्रवाई तभी प्रभावी होगी जब अवैध रूप से दक्षिणी सीमा पार कर अमेरिका पहुंचे वाले लोगों की औसत संख्या 2500 को पार कर जाएगी। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक ये नए नियम बुधवार सुबह से लागू हो गए हैं। ये नियम तब तक लागू रहेंगे जब तक कि औसत संख्या घटकर 1,500 से कम न हो जाए। नए नियम के तहत, लगातार 7 दिन तक अवैध शरणार्थिकों की संख्या यदि 1,500 से कम रही तो उसके दो सप्ताह बाद शरणार्थियों के लिए सीमा फिर से खुल जाएगी। प्रस्ताव में कहा गया है कि अगर बाद में भी ये संख्या फिर से बढ़ती है तो प्रतिबंध लागू किए जाएंगे। हालांकि इस प्रस्ताव में नाबालिग बच्चों और मानव तस्करी के शिकार लोगों को अपवाद में रखा गया है। CBS न्यूज की रिपोर्ट में बताया गया है वर्तमान में अवैध रूप से सीमा पार कर अमेरिका में प्रवेश लेने वाले लोगों की संख्या औसतन 3,700 है।
दरअसल, जो बाइडेन और उनकी पार्टी की शरणार्थी मुद्दे पर ढुलमुल रवैया अपनाने के कारण काफी आलोचना होती रही है। कई जानकारों का मानना है कि अगर बाइडेन सरकार शरणार्थी मुद्दे पर कोई ठोस फैसला नहीं लेती तो उन्हें दूसरी बार जीत हासिल करने में काफी दिक्कतें हो सकती हैं। चुनाव से पहले हुए ज्यादातर सर्वे में डोनाल्ड ट्रम्प, जो बाइडेन पर भारी पड़ते दिखाई दे रहे हैं। बाइडेन के पिछड़ने की एक बड़ी वजह शरणार्थी संकट भी है।