मुंबई, 23 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। CNN ने वॉशिंगटन के एक थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) की यह रिपोर्ट साझा किया गया है की, ताइवान को अपने देश में शामिल करने के लिए चीन को उस पर हमला करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वह आसानी से ताइवान को पूरी दुनिया से अलग करके उसकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके जरिए वह ताइवान को हार मानने पर मजबूर कर देगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि ताइवान पर कब्जा करने के लिए चीन या तो जंग का ऐलान कर सकता है या फिर ताइवान में सैन्य नाकाबंदी कर सकता है। लेकिन इन दोनों विकल्पों से इतर चीन के पास तीसरा रास्ता 'क्वारंटाइन' का है, यानी ताइवान को पूरी दुनिया से काट देना। इसके लिए चीन 'ग्रे जोन' रणनीति का इस्तेमाल कर सकता है। चीन के कोस्टगार्ड ताइवान की समुद्री सीमा को घेरकर उसे दुनिया से अलग कर सकते हैं। इसके लिए वे ताइवान के पोर्ट्स का इस्तेमाल दुनिया के लिए रोक सकते हैं। दरअसल क्वारंटाइन एक कानूनी कार्रवाई होती है, जिसके तहत समुद्री और हवाई ट्रैफिक को कुछ समय के लिए रोक दिया जाता है। अगर चीन ताइवान में क्वारंटाइन लागू करता है, तो अमेरिका भी उसकी मदद नहीं कर पाएगा। अगर अमेरिका ने चीन के फैसले के खिलाफ जाकर ताइवान में अपने एयरक्राफ्ट और मिलिट्री शिप भेजे तो इसे हमले के तौर पर देखा जाएगा।
चीन के कोस्टगार्ड के पास 150 जहाज हैं। इसके अलावा उनकी नेवी के पास 400 छोटे वेसल भी मौजूद हैं। चीन का नौसैनिक बेड़ा दुनिया में सबसे बड़ा है। वहीं ताइवान के पास 10 जहाज और 160 छोटे वेसल हैं। ऐसे में ताइवान चीन के क्वारंटाइन को रोक नहीं पाएगा। इसके अलावा चीन ताइवान के 2.3 करोड़ लोगों के लिए बिजली और दूसरी जरूरी चीजों की सप्लाई बंद कर सकता है। करीब 1 महीने पहले सिंगापुर में हुए शांगरी ला डायलॉग में चीन के रक्षा मंत्री डोंग जुन ने चेतावनी दी थी कि जो भी ताइवान की आजादी का समर्थन करेगा वह खुद तबाह हो जाएगा। चीन वहां आजादी की लड़ाई को रोकने के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन अपने एयरक्राफ्ट्स के जरिए ताइवान की हवाई सीमा पर भी कंट्रोल कर सकता है। चीनी जहाज और फाइटर जेट्स अकसर ताइवान के हवाई क्षेत्र में घुसते हैं। 2 दिन पहले शुक्रवरा को ही चीन के 36 एयरक्राफ्ट ताइवान के एयर डिफेंस जोन में दाखिल हुए थे। CSIS के मुताबिक ताइवान की हवाई और समुद्री सीमा पर कंट्रोल करके चीन उसे मिलने वाली विदेशी मदद पर भी लगाम लगा सकता है। इसका सीधा असर ताइवान की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। लंबे समय तक आर्थिक तंगी झेलने के बाद ताइवान चीन के सामने हार मान सकता है। इसके बाद चीन आसानी से क्वारंटाइन हटाने के बदले ताइवान पर पूरी तरह से कंट्रोल की मांग कर सकता है।