मुंबई, 25 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। अमेरिका की मानवाधिकारों के उल्लंघन पर जारी की गई एक रिपोर्ट को भारत ने सिरे से खारिज कर दिया है। इसमें अमेरिका ने मणिपुर हिंसा का जिक्र करते हुए वहां मानवाधिकारों का हनन होने का दावा किया था। भारत ने 80 पन्नों की इस रिपोर्ट को गलत और भेदभावपूर्ण बताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है कि रिपोर्ट ये दिखाती है कि अमेरिका की भारत को लेकर समझ ठीक नहीं है। वीकली ब्रीफिंग में अमेरिकी रिपोर्ट पर पूछे गए एक सवाल के जवाब पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, हम इस रिपोर्ट को कोई महत्व नहीं देते है और आपसे भी ऐसा ही करें। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 22 अप्रैल को अलग अलग देशों में मानवाधिकारों से जुड़े कानूनों के पालन की स्थिति को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट में चीन, ब्राजील , बेलारूस, म्यांमार के साथ-साथ भारत का भी जिक्र था।
इसमें भारत को लेकर दावा किया था कि मणिपुर में मैतई और कुकी समुदायों में फैली जातीय हिंसा फैलने के बाद मानवाधिकारों का हनन हुआ है। 3 मई से 15 नवंबर के बीच कम से कम 175 लोग मारे गए और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए। साथ ही रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में तानाशाही बढ़ी है। अमेरिका की मानवाधिकार रिपोर्ट में कहा गया हैं कि भारत की बीजेपी सरकार हिंदुस्तान में मुस्लमानों के साथ भेदभाव कर रही है। भारत में अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों में भी बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट में मोदी सरकार पर पत्रकारों को चुप करवाकर जेल भेजने की कोशिश करने की बात कही गई है। इसके अलावा कहा गया है कि जम्मू कश्मीर के लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी का हनन हो रहा है। लोगों को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने नहीं दिया जा रहा है। अमेरिका की मानवाधिकार की रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर डॉक्यूमेंटरी रिलीज करने के बाद BBC पर रेड की गई। यह रेड 60 घंटे की थी, जिसे टैक्स चोरी की जांच के रूप में बताया गया था। लेकिन अधिकारियों ने उन पत्रकारों के भी मोबाइल और लैपटॉप जब्त कर लिए थे, जो कंपनी के फाइनेंशियल स्ट्रक्चर में शामिल नहीं थे।