मुंबई, 05 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। जाफना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कच्चाथीवू पर श्रीलंका के मत्स्य पालन मंत्री डगलस देवानंद ने कहा, भारत में चुनाव का समय है। ऐसे में कच्चाथीवू पर दावे से जुड़े बयान आना कोई नई बात नहीं है। मुझे लगता है भारत इस जगह को खुद हासिल करना चाहता है ताकि श्रीलंकाई मछुआरों को यहां कोई हक न मिले। 1974 में भारत-श्रीलंका के बीच समझौता हुआ था। इसके तहत दोनों देशों के मछुआरों को एक-दूसरे की समुद्री सीमा में मछली पकड़ने की इजाजत दी गई थी। लेकिन इसके बाद 1976 में नया समझौता हुआ और मछुआरों को मिले अधिकार पर रोक लगा दी गई। बीते दिनों उन्होंने यह भी कहा था की, यह मुद्दा 50 साल पहले सुलझा लिया गया था। इसे दोबारा उठाने की कोई जरूरत नहीं है। कच्चाथीवू पर कोई विवाद नहीं है। भारत में सिर्फ राजनीतिक बहस चल रही है कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है। लेकिन इस पर अधिकार को लेकर कोई बात नहीं हुई है।
वहीं, श्रीलंकाई मंत्री ने बताया कि नए समझौते के तहत भारत को कन्याकुमारी के पास मौजूद वेज बैंक मिला। यह कच्चाथीवू से 80 गुना बड़ा इलाका है, जहां बहुत से समुद्री संसाधन मौजूद हैं। 1976 रिव्यू में यह इलाका भारत को मिला था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले कुछ महीनों में श्रीलंकाई मछुआरों ने आरोप लगाया है कि भारत के मछुआरे गैरकानूनी तरह से श्रीलंका की समुद्री सीमा में मछली पकड़ने पहुंच रहे हैं। इस साल की शुरुआत से लेकर अब तक श्रीलंकाई नेवी 178 मछुआरों को पकड़ा है। इस मामले को लेकर श्रीलंका में कई जगह प्रदर्शन भी हुए हैं, जिसकी वजह से मत्स्य पालन मंत्री डगलस देवानंद पर प्रेशर बढ़ रहा है। आपको बात दें, इससे पहले भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 1 अप्रैल को भारत-श्रीलंका के बीच स्थित कच्चाथीवू द्वीप पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि इंदिरा सरकार ने 1974 में भारत का ये द्वीप श्रीलंका को दे दिया था।