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अमेरिकी सेना से ट्रांसजेडर्स को निकालेंगे ट्रम्प, 15 हजार ट्रांसजेंडर्स खो सकते हैं नौकरी, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Tuesday, November 26, 2024

मुंबई, 26 नवंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। डोनाल्ड ट्रम्प सत्ता संभालने के बाद अमेरिकी सेना में शामिल ट्रांसजेंडर सैनिकों को निकाल सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि 20 जनवरी को शपथ लेने के बाद ट्रम्प इस आदेश पर हस्ताक्षर कर सकते है। इसके साथ ही भविष्य में भी ट्रांसजेंडर्स के अमेरिकी सेना में शामिल होने पर रोक लगा दी जाएगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक इन सैनिकों को मेडिकली अनफिट होने के चलते नौकरी से निकाला जाएगा। फिलहाल अमेरिकी सेना में 15 हजार ट्रांसजेंडर सैनिक हैं, जिन्हें नौकरी से निकाला जा सकता है। ट्रम्प ने चुनाव प्रचार के दौरान भी ट्रांसजेंडर समुदाय के खिलाफ बयान दिए थे। इसके अलावा ट्रम्प की अगली सरकार में रक्षा मंत्री बनने वाले पिट हेगसेथ ने भी कुछ दिन पहले कहा था कि सेना में महिलाओं और ट्रांसजेंडर्स को शामिल करने से अमेरिका की सुरक्षा व्यवस्था कमजोर हो रही है। अपने पिछले कार्यकाल के दौरान भी डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्रांसजेंडर्स के सेना में शामिल होने पर रोक लगाई थी। हालांकि उस समय जो लोग सेना में पहले से शामिल थे, उन्हें नहीं हटाया गया था। बाद में जो बाइडेन ने राष्ट्रपति बनने के बाद इस प्रतिबंध को हटा दिया था।

वहीं, अमेरिकी सेना में फिलहाल जो 15 हजार ट्रांसजेंडर सैनिक हैं, उनमें से 2200 ने सर्जरी के जरिए अपना जेंडर चेंज कराया है। बाकी सैनिकों ने अपनी पहचान ट्रांसजेंडर के तौर पर दर्ज कराई है। इस बार ट्रम्प इन सभी 15 हजार ट्रांसजेंडर्स को सेना से निकालने की बात कही है। अमेरिका की कई यूनिवर्सिटीज ने अपने यहां पढ़ने वाले दूसरे देशों के छात्रों को डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ ग्रहण से पहले वापस लौटने के लिए कहा है। डोनाल्ड ट्रम्प अगले साल 20 जनवरी को राष्ट्रपति लेंगे। ट्रम्प ने चुनाव प्रचार के दौरान अवैध प्रवासियों को देश से निकालने के लिए बड़े स्तर पर कैंपेन चलाने की बात कही थी। बीबीसी रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में इस समय 4 लाख ज्यादा ऐसे विदेशी स्टूडेंट रजिस्टर्ड हैं, जिनके पास उनके कागजात नहीं है। ऐसे में उन्हें ट्रम्प की अवैध प्रवासियों के लिए जाने वाले एक्शन्स का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा ट्रम्प H1-B वीजा प्रोग्राम से जुड़े नियमों को और सख्त कर सकते हैं। ट्रम्प ने पिछले कार्यकाल में H-1B के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को बढ़ाते हुए सख्त कर दिया था। इसके चलते H1-B वीजा से जुड़े एप्लिकेशन रिजेक्ट होने की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हुई थी। 2015 में H1-B वीजा कैटेगरी में 6% एप्लिकेशन ही रिजेक्ट हुए थे, जबकि 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 24% तक पहुंच गया था। इसके अलावा ट्रम्प के पिछले कार्यकाल में टूरिस्ट और शॉर्ट टर्म वीजा की प्रक्रिया भी लंबी हो गई थी। 2017 में अमेरिका का टूरिस्ट वीजा मिलने में 28 दिन लगते थे। 2022 में यह अवधि बढ़कर 88 दिन की हो गई थी।


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