मुंबई, 9 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। यूक्रेन ने रूसी हमले का जवाब देने के लिए खतरनाक ‘ड्रैगन ड्रोन’ का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। यूक्रेनियन डिफेंस मिनिस्ट्री ने बुधवार को सोशल मीडिया पर कई वीडियो पोस्ट किए हैं। वीडियो में दिख रहा है कि ड्रोन पेड़ों के ऊपर उड़ रहा है। वह लावा फेंक रहा है जिसकी वजह से जंगल में आग लग गई है। CNN के मुताबिक यूक्रेनी सेना ने पेड़ों की ओट में छिपे रूसी सैनिकों को खत्म करने के लिए इसका इस्तेमाल किया है। इस ड्रोन में थर्माइट का इस्तेमाल हुआ है जो एल्युमिनियम पाउडर और आयरन ऑक्साइड का एक मिश्रण है। यह 4 हजार डिग्री फारेनहाइट तापमान पर जलता है। यह ड्रोन जब उड़ता है तो इससे आग का लावा निकलता है जो कि पौराणिक कथाओं के ड्रैगन जैसा दिखाई देता है। यही वजह है कि इसे ड्रैगन ड्रोन कहा जाता है। इस ड्रोन से निकलने वाला लावा पेड़ ही नहीं बल्कि स्टील को भी पिघला सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक रूस और यूक्रेन दोनों ही देश इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। रूस ने 2023 में पूर्वी यूक्रेनी शहर वुहलदार पर थर्माइट बम का इस्तेमाल किया। जलता हुआ थर्माइट जल्दी नहीं बुझाया जा सकता है इसलिए इसकी जद में आने वाले भारी वाहन हों या हथियार सभी बर्बाद हो जाते हैं। अब यूक्रेन की 60वीं मैकेनाइज्ड ब्रिगेड इसका इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि ये ड्रोन इतने सटीक हैं कि कोई भी दूसरा इसका मुकाबला नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि जब हमारा ‘विदार’ उड़ेगा तो रूसी महिलाओं को नींद नहीं आएगी। विदार पुराने समुद्री लड़ाके वाइकिंग्स के देवता हैं जो बदला लेने के लिए जाने जाते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक थर्माइट को पहली बार 1890 में एक जर्मन केमिस्ट ने तैयार किया था। इसका इस्तेमाल मूल रूप से रेल की पटरियों को आपस में जोड़ने के लिए किया जाता था। लेकिन बाद में इसका इस्तेमाल जंग में भी होने लगा। पहली बार युद्ध में जर्मनी ने इसका इस्तेमाल किया। उन्होंने ब्रिटेन पर एक जेप्लिन से इसे गिराया। जेप्लिन एक प्रकार का गुब्बारा होता है। इसके बाद दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिका ने टोक्यो में इसका इस्तेमाल किया था। अमेरिकी सेना ने वियतनाम में भी इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया था। रिपोर्ट के मुताबिक सेना के खिलाफ इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध नहीं है मगर आम नागरिकों को इससे निशाना नहीं बनाया जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण कार्यालय के अनुसार आग लगाने वाले हथियार बड़े पैमाने पर विनाश और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं और ऐसी आग पैदा करते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी सेना ने भी ग्रेनेड में थर्माइट का इस्तेमाल किया है। अमेरिकी सेना ने 1960 से 2014 तक थर्माइट वाले ग्रेनड को उत्पादन किया। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका ने फिर से इसे बनाना शुरू कर दिया है।