जब चार ग्रह एक साथ परिक्रमा करते हैं और कुंडली में किसी भी घर पर कब्जा कर लेते हैं, तो इसे ज्योतिष में चतुर्ग्रही योग कहा जाता है। यह एक दुर्लभ संयोग है. यह योग जब भी घटित होता है तो कुंडली के भावों, ग्रहों की युति और उनके दृष्टिकोण के कारण जीवन के हर क्षेत्र पर आश्चर्यजनक प्रभाव डालता है।
जून 2024 में चतुर्ग्रही योग बनेगा
साल 2024 में जून के महीने में वृषभ राशि में चतुर्ग्रही योग बनने के योग बन रहे हैं। यह योग गुरु, शुक्र, बुध और सूर्य की युति से बनेगा। बृहस्पति इस समय वृषभ राशि में हैं। 14 मई को सूर्य के वृष राशि में और 19 मई को शुक्र के वृष राशि में प्रवेश करने पर 'त्रिग्रही योग' बनेगा। 31 मई को बुध के वृष राशि में प्रवेश के कारण इस राशि में चतुर्ग्रही योग बनेगा। आपको बता दें कि ज्योतिष शास्त्र में इन सभी ग्रहों को अच्छा माना जाता है।
चतुर्ग्रही योग का प्रभाव
चतुर्ग्रही योग का राजनीति, अर्थव्यवस्था, व्यापार, मौसम, समाज और व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। शुभ ग्रहों से बनने वाला यह योग सकारात्मक परिणाम देता है जबकि अशुभ ग्रहों की युति नकारात्मक प्रभाव देती है। शुभ ग्रहों के कारण योग्य और अच्छे लोग सरकार में मंत्री पद पर चुने जाते हैं। भारी बारिश, बाढ़, भूकंप आदि प्राकृतिक आपदाएँ अशुभ ग्रहों के कारण अधिक होती हैं। दरअसल चतुर्ग्रही योग कितना अच्छा या बुरा साबित होगा यह भाव, राशि और ग्रह के योग पर निर्भर करता है।
कुंडली भाव के अनुसार प्रभाव
चतुर्ग्रही योग का प्रभाव कुंडली के भाव (घर), राशि और ग्रहों की कार्यप्रणाली के अनुसार अलग-अलग होता है, उदाहरण के लिए जब यह योग एकादश भाव में होता है तो व्यापार में जबरदस्त वृद्धि और लाभ होता है। शेयर बाज़ार में उछाल लोगों को अलग कर देता है. आइए जानें कि कुंडली के प्रत्येक भाव के आधार पर व्यक्ति के जीवन का कौन सा पहलू सबसे अधिक प्रभावित होता है।
1. प्रथम भाव : व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक स्थिति पर अधिक प्रभाव डालता है।
2. दूसरा भाव: धन और आय के स्रोत के साथ रहने की स्थिति पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है।
3. तीसरा घर: व्यक्ति का आत्मविश्वास और रिश्तेदारों से संबंध प्रभावित होते हैं।
4. चतुर्थ भाव: माता का स्वास्थ्य, माता से संबंध और जमीन-जायदाद प्रभावित होता है।
5. पंचम भाव: शिक्षा का अर्थ है शिक्षा और पुत्र-पुत्रियों पर प्रभाव पड़ता है।
6. छठा भाव : व्यक्ति के स्वास्थ्य पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है।
7. सप्तम भाव : इससे जीवनसाथी यानि पति-पत्नी का रिश्ता प्रभावित होता है।
8. अष्टम भाव : दुर्घटना, बीमारी और खर्च का प्रभाव रहता है।
9. नवम भाव : धार्मिक एवं आध्यात्मिक विचार, तीर्थयात्रा आदि प्रभावित होते हैं।
10. दशम भाव : नौकरी, व्यवसाय एवं प्रतिष्ठा प्रभावित होती है।
11. एकादश भाव : व्यापार में लाभ, हानि और आय को प्रभावित करता है।
12. बारहवां भाव : व्यय, ऋण, विदेश यात्रा आदि प्रभावित होता है। अशुभ ग्रहों के कारण फालतू खर्च बढ़ता है।