हिन्दू धर्म की शान यानि माथे पर तिलक क्योकि तिलक एक मांगलिक प्रतिक माना जाता है | किसी भी पूजा यात्रा सफलता प्राप्ति स्वागत सम्मान आदि मौको पर शगुन का तिलक लगाकर मंगल इच्छा की जाती है |
कई घरो में लोग नहाकर या चेहरा धोते ही सबसे पहले अपने माथे पर तिलक या बिंदी लगाते है | बिंदी शब्द संस्कृत के शब्द 'बिंदू' से आया है | बिंदु डॉट / पॉइंट है जिस पर निर्मिति शुरू होती है। यह चेहरे को सुशोभित करता है। हिंदू धर्म में, लाल रंग सम्मान, प्रेम और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए इन गुणों का प्रतीक लाल बिंदी है।
मस्तिष्क “अजना चक्र” या “आज्ञा चक्र” का पॉइंट है | यह मानव शरीर का छठा और सबसे शक्तिशाली चक्र है। यह सिर, आंख, मस्तिष्क, पीनियल ग्रंथि और पिट्यूटरी ग्रंथि को नियंत्रित करता है। यह चक्र योग ध्यान में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। कई ध्यान तकनीकों में, हम इस बिंदु पर ध्यान केंद्रित करते हैं। भगवान शिव के चित्रों में, हम इस बिंदु पर उनकी तीसरी आंख देखते हैं। यह ज्ञान, अंतर्ज्ञान, जागृति और जागरूकता का केंद्र है।
एक्यूप्रेशर के अभ्यास के अनुसार, प्रतिदिन कुछ सेकंड के लिए अंजन चक्र के इस बिंदु को दबाने से कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। जब हम अपनी बिंदी लगाते हैं, तो हम इसे थोड़ा समायोजित करते हैं, फिर इसे मजबूती से दबाते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह जगह पर बनी हुई है। भले ही हम इसे तीसरी आंख पर न पहनें लेकिन इसे थोड़ा ऊंचा रखें, इसके स्वास्थ्य लाभ समान हैं |
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यह सिरदर्द से राहत दिलाता है।
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दृष्टि और नेत्र स्वास्थ्य में सुधार करता है।
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यह अवसाद (depression) को रोकता है।
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यह सुनने में सुधार करता है।
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यह आरामदायक नींद और खुशी की भावना को बढ़ावा देता है।
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यह स्मृति और एकाग्रता को बढ़ाता है।
सिन्दूर ,चन्दन ,राख यह कुछ प्रकार के तिलक है जिसकी अपनी अपनी विशेषताएं है और लोग इसे अपने पसंद या मौके के हिसाब से लगाते है | आज कल तो लोग स्टाइलिश स्टीकर वाले , डायमंड वाले बिंदी भी पहने लगे है |
बिंदी या तिलक पहनना केवल धार्मिक प्रतीक नहीं हैं। वे शरीर, मन और आत्मा की चिकित्सा करते हैं और शरीर को संतुलन में रखते हैं।