ताजा खबर

Aaj Ka Panchang: आज फाल्गुन अमावस्या पर जानिए 27 फरवरी के पंचांग का शुभ योग और राहु काल

Photo Source :

Posted On:Thursday, February 27, 2025

Aaj Ka Panchang 27 february 2025: आज 27 फरवरी, 2025 को फाल्गुन माह का चौदहवां दिन है यानी आज इस माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। आज दिनमान यानी दिन की लंबाई 11 घंटे 31 मिनट 25 सेकंड की है, जबकि रात्रिमान 12 घंटे 27 मिनट 33 सेकंड की होगी। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, यह वसंत ऋतु है और सूर्य वर्तमान में उत्तरायण में गोचर कर रहे हैं। आइए जानते हैं, 27 फरवरी के पंचांग के पांचों अंग यानी तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण की क्या स्थितियां हैं? आज का कौन-सा समय आपके लिए शुभ सिद्ध होने के योग दर्शा रहा है और आज का राहु काल का समय क्या है?

श्री सर्वेश्वर पञ्चाङ्गम् 🌞 🌕
------------------------------------------------
🚩🔱 धर्मो रक्षति रक्षितः🔱 🚩
🌅पंचांग- 27.02.2025🌅
युगाब्द - 5125
संवत्सर - कालयुक्त
विक्रम संवत् -2081
शाक:- 1946
ऋतु- बसंत
सूर्य __ उत्तरायण
मास - फाल्गुन
पक्ष _ कृष्णपक्ष
वार - गुरूवार
तिथि- चतुर्दशी 08:54:12
तिथि- अमावस्या 30:13
नक्षत्र धनिष्ठा 15:42:44
योग शिव 23:39:50
करण शकुनी 08:54:12
करण चतुष्पद 19:36:49
करण नाग 30:13:53
चन्द्र राशि - कुम्भ
सूर्य राशि - कुम्भ

🚩🌺 आज विशेष 🌺🚩
👉 देवपितृ कार्य अमावस

🍁 अग्रिम पर्वोत्सव 🍁

👉 फुलेरा दोज
01 मार्च 2025 (शुक्रवार)
👉 होलाष्टक
07 मार्च 2025 (शुक्रवार) से
👉 आमला एकादशी
10 मार्च 2025 (सोमवार)
👉 गोविन्द द्वादशी/ प्रदोष व्रत
11 मार्च 2025
(मंगलवार)
👉 होलिका दहन
13 मार्च 2025 (बुधवार)
( रात्रि 11/30 से 12 /I5)
👉 धुलण्डी/ सत्यनारायण व्रत
14 मार्च 2025 (शुक्रवार)

🕉️🚩 यतो धर्मस्ततो जयः🚩🕉️

!! भगवान शंकर ने ली श्रीराम की मर्यादा की परीक्षा!!

भगवान (शंकर (विश्वनाथ) की अर्धांगिनी हैं माता अन्नपूर्णा । माता पार्वती ही सृष्टिकाल में महामाया, पालन करते समय अन्नपूर्णा और संहार करते समय कालरात्रि कहलाती हैं । भगवान शंकर का परिवार बहुत लम्बा है—स्वयं शंकरजी पंचानन, पुत्र गजानन और षडानन, तीन बहुएं, दो पोते फिर इन सबके वाहन; इसके अलावा नन्दी-भृंगी एवं श्रृंगी और बहुत खाने वाले भूत-प्रेतों का समुदाय । इन सबकी क्षुधा-पिपासा शान्त करने का जिम्मा माता अन्नपूर्णा का है ।

माता अन्नपूर्णा की आराधना करने से मनुष्य को कभी अन्न का दु:ख नहीं होता है क्योंकि वे नित्य अन्न-दान करती हैं । यदि माता अन्नपूर्णा अपनी कृपादृष्टि हटा लें तो मनुष्य दर-दर अन्न-जल के लिए भटकता फिरे लेकिन उसे चार दाने चने के भी प्राप्त नहीं होते हैं । एक बार भगवान शंकर की आज्ञा से माता अन्नपूर्णा ने महर्षि वेदव्यास की तरफ से दृष्टि फेर ली, वेदव्यासजी अपने शिष्यों सहित दो दिनों तक काशी की गलियों में भिक्षा के लिए आवाज लगाते रहे थे किन्तु उनको और उनके शिष्यों को कहीं से भी कुछ भी भिक्षा न मिल सकी ।

भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश की लीलाएं अत्यन्त न्यारी हैं । अपने भक्तों की परीक्षा वे अद्भुत तरीके से लेते रहते हैं । ऐसी ही परीक्षा भगवान शंकर ने अपने भक्त भगवान श्रीराम की ली थी ।

एक बार अयोध्या में राघवेंद्र भगवान श्रीराम ने अपने पितरों का श्राद्ध करने के लिए ब्राह्मण-भोजन का आयोजन किया । ब्राह्मण-भोजन में सम्मिलित होने के लिए दूर-दूर से ब्राह्मणों की टोलियां आने लगीं । भगवान शंकर को जब यह मालूम हुआ तो वे कौतुहलवश एक वृद्ध ब्राह्मण का रूप धर कर ब्राह्मणों की टोली में शामिल होकर वहां पहुंच गए और श्रीरामजी से बोले—‘मुझे भी भोजन करना है ।’

अन्तर्यामी भगवान श्रीराम बूढ़े ब्राह्मण को पहचान गए और समझ गए कि भगवान शंकर ही मेरी परीक्षा करने यहां पधारे हैं । ब्राह्मण-भोजन के लिए जैसे ही पंगत पड़ी, भगवान श्रीराम ने स्वयं उस वृद्ध ब्राह्मण के चरणों को अपने करकमलों से धोया और आसन पर बिठाकर भोजन-सामग्री परोसना शुरु कर दिया । छोटे भाई लक्ष्मणजी भगवान शंकर को जो भी वस्तु परोसते, शंकरजी उसे एक ही ग्रास में खत्म कर देते । उनकी पत्तल पर कोई सामान बचता ही नहीं था । सभी परोसने वाले उस बूढ़े ब्राह्मण की पत्तल में सामग्री भरने में लग गए, पर पत्तल तो खाली-की-खाली ही नजर आती । श्रीरामजी मन-ही-मन मुस्कराते हुए शंकरजी की यह लीला देख रहे थे ।

भोजन समाप्त होते देख महल में चिंता होने लगी गयी । माता सीता के पास भी यह समाचार पहुंचा कि श्राद्ध में एक ऐसे वृद्ध ब्राह्मण पधारे हैं, जिनकी पत्तल पर सामग्री परोसते ही साफ हो जाती है । श्राद्ध में आमन्त्रित सभी ब्राह्मणों को भोजन कराना भगवान श्रीराम की प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया । माता सीता भी चिन्तित होने लगीं ।

जब बनाया गया सारा भोजन समाप्त हो गया फिर भी शंकरजी तृप्त नहीं हुए तो श्रीराम ने माता अन्नपूर्णा का स्मरण कर उनका आह्वान किया । सभी परोसने वाले व्यक्ति वहां से हटा दिये गये । माता अन्नपूर्णा वहां प्रकट हो गयीं ।

श्रीरामजी ने माता अन्नपूर्णा से कहा—‘अपने स्वामी को आप ही भोजन कराइए, इन्हें आपके अतिरिक्त और कोई तृप्त नहीं कर सकता है ।’

मां अन्नपूर्णा ने जब अपने हाथ में भोजन पात्र लिया तो उसमें भोजन अक्षय हो गया । अब वे स्वयं विश्वनाथ को भोजन कराने लगीं । मां अन्नपूर्णा ने पत्तल में एक लड्डू परोसा । भगवान विश्वनाथ खाते-खाते थक गये पर वह समाप्त ही नहीं होता था । मां ने दोबारा परोसना चाहा तो भगवान शंकर ने मना कर दिया । शंकरजी हंसते हुए डकार लेने लगे और बोले—‘तुम्हें आना पड़ा, अब तो मैं तृप्त हो गया ।’

मां अन्नपूर्णा काशी की अधीश्वरी हैं इसलिए वहां एक कहावत प्रचलित है—

‘बाबा-बाबा सब कहै, माई कहे न कोय।
बाबा के दरबार में माई कहैं सो होय ।।

जिस प्रकार भगवती अन्नपूर्णा द्वारा भगवान शिव की पत्तल में परोसी गयी मिठाई बार-बार खाने पर भी कभी घटती नहीं, उसी प्रकार अच्छी नीयत से कमाया हुआ धन कितना भी खर्च करने पर घटता नहीं और खराब नीयत से अर्जित धन कभी ठहरता नहीं, साथ ही दु:ख का कारण भी बनता है । सत्यता और ईमानदारी से कमाया गया धन कभी घटता नहीं और चोरी, बेईमानी व अन्य गलत तरीकों से कमाये हुए धन की बरकत भी वैसी ही होती है । इसलिए अच्छे धन की अच्छी बरकत होती है ।

अब शंकरजी श्रीरामजी से बोले—‘मैं इतना खा गया हूँ कि मुझसे अपने आप उठा नहीं जा रहा है । मुझे जरा उठाओ ।’ हनुमानजी अपने स्वामी का कार्य करने के लिए आगे बढ़े और शंकरजी को उठाने लगे परन्तु वे उन्हें उठा नहीं सके । श्रीरामजी ने लक्ष्मणजी से शंकरजी को उठाने के लिए कहा…..!”

जय जय श्री ठाकुर जी की
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा)
व्याकरणज्योतिषाचार्य
राज पंडित-श्री राधा गोपाल मंदिर
(जयपुर)


फिरोजाबाद और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. firozabadvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.