बॉलिवुड में अगर कोई फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट हो जाए, तो उसके निर्माता तुरंत बिना किसी नई कहानी के उसके सीक्वल की घोषणा कर देते हैं। फिल्म ड्रीम गर्ल 2 भी करीब चार साल पहले आई फिल्म ड्रीम गर्ल की सीक्वल है। इस फिल्म के कुछ किरदार पुरानी फिल्म से लिए गए हैं, लेकिन इस फिल्म का पुरानी फिल्म से कोई लेना-देना नहीं है।
क्या है ड्रीम गर्ल 2 की कहानी?
फिल्म की कहानी के मुताबिक करम उर्फ पूजा (आयुष्मान खुराना) अपने पिता जगजीत (अन्नू कपूर) के साथ आगरा में रहता है और कर्ज में डूबे बाप-बेटे जैसे तैसे धार्मिक कार्यक्रमों में गा-बजाकर अपना गुजारा चलाते हैं। करम एक अमीर बाप की बेटी परी (अनन्या पांडे) को चाहता है। पुरानी बॉलिवुड फिल्मों की तरह परी के पिता जयपाल (मनोज जोशी) ने उसके आगे तीन बड़ी शर्तें घर, नौकरी व 25 लाख रुपए छह महीने में हासिल करने की शर्त रख देता है। जल्दी पैसा कमाने की चाहत में करम पूजा बनकर सोना भाई (विजय राज) के डांस बार में बार गर्ल बन जाता है। एक दिन उसका दोस्त स्माइली (मनजोत सिंह) एक ऐसा ऑफर लेकर आता है, जिसमें करम को 50 लाख रुपए मिल रहे थे। पैसे के लालच में करम उस ऑफर को हां तो कर लेता है, लेकिन फिर एक के बाद एक मुसीबत में उलझता चला जाता है। क्या करम को पूजा मिल पाती है? यह जानने के लिए आपको सिनेमा जाना होगा।
परफॉरमेंस -
इस फिल्म के आयुष्मान खुराना ने काफी मेहनत की है और वो पर्दे पर नजर भी आती है. फिल्म 'ड्रीम गर्ल' में उन्होंने लड़की की आवाज निकालकर सभी को चौंका दिया था, तो वहीं 'ड्रीम गर्ल 2' में उनकी अदाएं भी देखने लायक हैं. पूजा के अवतार में आयुष्मान काफी कमाल लगे हैं. उनके बात करने के तरीके से लेकर चलना और डांस करने तक सबकुछ काफी बढ़िया है. उन्होंने एक लड़की की अदाओं को मानो घोलकर पी लिया हो. हालांकि कुछ एक जगह वो असहज भी नजर आ ही जाते हैं. वहीं अन्नू कपूर ने एक बार फिर महफिल लूट ली। जबकि परेश रावल, विजय राज, राजपाल यादव, सीमा पाहवा व अभिषेक बनर्जी जैसे कलाकारों ने अपने अपने रोल में बेहतरीन एक्टिंग की है। फिल्म में अनन्या पांडे का रोल वैसे ही ज्यादा नहीं है और उसमें भी वह कुछ खास नहीं कर पाईं।
डायरेक्शन -
डायरेक्टर राज शांडिल्य ने पंजाबी हिट फिल्म कैरी आन जट्टा के लेखक नरेश कथूरिया के साथ मिलकर फिल्म की कहानी लिखी है। लेकिन अफसोस कि इस कॉमेडी जॉनर की फिल्म में उन्होंने मसाले तो भरपूर डाल दिए, लेकिन कहानी के मामले में उतनी मेहनत नहीं की। फिल्म की कहानी पहले आधे घंटे में तेजी से आगे बढ़ती है और उत्सुकता जगाती है कि आगे कुछ नया होगा, लेकिन इंटरवल के बाद फिल्म की कहानी बहुत सारे किरदारों में उलझ जाती है। हालांकि डायरेक्टर ने फिल्म में ढेरों कॉमेडी सीक्वेंस डाले हैं, जो कि टुकड़ों में आपको गुदगुदाते हैं। लेकिन अगर उन्होंने कहानी के लेवल पर भी थोड़ी और मेहनत की होती, तो ड्रीम गर्ल 2 को ड्रीम गर्ल जितना बेहतर बना सकते थे।
बात म्यूजिक की करें, तो 'दिल का टेलिफोन 2' के अलावा कोई दूसरा गाना सिनेमा से बाहर आकर याद नहीं रहता। अगर आप कॉमेडी फिल्मों के शौकीन हैं, तो इस फिल्म को देखने सिनेमा जा सकते हैं। वरना पिछली ड्रीम गर्ल को भी ओटीटी पर दोबारा देखकर काम चला सकते हैं।