ताजा खबर

फिल्म रिव्यु - Jawan



जवान उन लोगों के लिए मस्ट वॉच है जो एक कम्प्लीट एंटरटेनर देखने के शौकीन हैं. 


Posted On:Wednesday, September 13, 2023


सच कहूं तो इस फिल्म का नाम ‘जय जवान, जय किसान’ होना चाहिए था, लेकिन तब शायद ये एक सियासी नाम हो जाता और एक अलग तरह की बहस स्टार्ट हो जाती पर जैसा कि हम शाहरुख़ को जानते है, हमेशा कोशिश करते है कि जितना हो सके कॉन्ट्रोवर्सी से दूर रहा जाये ... खैर  जवान थिएटर में रिलीज हो चुकी है और लगभग हर थिएटर के बाहर हाउसफुल के बोर्ड लगे गए है. एटली के डायरेक्शन में बनी ‘जवान’ में वो सब कुछ है जो एक ब्लॉकबस्टर फिल्म में होनी चाहिए. मॉर्निंग शो देखने वालों की नींद उड़ाने वाली इस फिल्म में एक्शन के साथ-साथ रोमांस का तड़का दिया गया है और स्वादानुसार इस फिल्म में सोशल मैसेज भी शामिल किया गया है. हमने साउथ फिल्मों के कई हिंदी रीमेक देखे हैं, लेकिन एटली ने शाहरुख खान को ही साउथ, खासकर तमिल स्टाइल में ऑडियंस के सामने पेश किया है.
 
कहानी - 
जवान फिल्म(Jawan Film) की कहानी के मुताबिक आजाद (शाहरुख खान) महिला जेल का जेलर है लेकिन वह अपनी पहचान छिपाकर आम पब्लिक के लिए सिस्टम से लड़ता है। इस सब में जेल में झूठे इल्जामों में कैद छह लड़कियों की टीम उसकी मदद करती है। उससे निपटने के लिए सरकार स्पेशल फोर्स की चीफ नर्मदा राय (नयनतारा) को भेजती है। लेकिन वह भी आजाद को नहीं रोक पाती। उलटे आजाद प्यार में धोखा खा चुकी नर्मदा से शादी करके उसे भी अपने मिशन में शामिल कर लेता है।

पूरे सिस्टम को पीछे से चला रहे इंटरनैशनल क्रिमिनल काली (विजय सेतुपति) को आजाद की इन हरकतों के चलते काफी नुकसान होता है। अपने सारे काले धंधे के चौपट होने से खफा काली बौखला जाता है और आजाद की असलियत पता लगाकर उसे बंधक बना लेता है। तब आजाद जैसा दिखने वाला एक शख्स विक्रम राठौड़ उसकी मदद करता है। आखिर विक्रम राठौड़ की क्या कहानी है? क्या आजाद काली से बदला ले पाता है? यह जानने के लिए आपको सिनेमाघर जाना होगा।
 
एक्टिंग -
एक्टिंग के मामले में शाहरुख खान बेमिसाल है. उनके अलग-अलग लुक धमाल हैं. उन्होंने दिखा दिया है कि वे बॉलीवुड के बादशाह हैं. फिर वह चाहे एक्शन हो या फिर इमोशंस. पूरी फिल्म पर वे राज करते है. फिल्म में नयनतारा छा गई हैं. उनका रोल जंचता है. एक्टिंग तो उनकी शानदार है ही, इस बार एक्शन में भी हाथ दिखा दिए हैं. दीपिका पादुकोण का अहम किरदार हैं और काफी पावरफुल भी. विजय सेतुपती ने काली के किरदार में जान डाल दी है. उनके डायलॉग में कमाल का पंच है. फिल्म का हर किरदार अपने आप में कम्प्लीट है. संजय दत्त का कैमियो जोरदार है. प्रियामणि भी ध्यान खींचती हैं और रोल को दिल में उतार देने वाले अंदाज में निभाया है.

राइटिंग और डायरेक्शन -
इस तरह की कहानी साउथ की हर 10वीं फिल्म में होती है, लेकिन एटली का डायरेक्शन हमें इस बात को नजरअंदाज करने के लिए मजबूर कर देता है.  एटली ने जवान में एक नहीं दो शाहरुख खान रखे हैं, ऐसे में हर सीन और एक्शन का मजा दोगुना हो जाता है. फिल्म पूरी तरह से मसाला एंटरटेनर है और एटली ने मासेस का भरपूर ख्याल भी रखा है. सुमित अरोड़ा ने इस फिल्म के डायलॉग लिखे हैं. ‘बेटे को हाथ लगाने से पहले बाप से बात कर’ महज इस की एक झलक है. ‘चाहिए तो आलिया भट्ट लेकिन उम्र में वो थोड़ी छोटी है’, ‘राठौड़…विक्रम राठौड़’ जैसे डायलॉग ने थिएटर में खूब मचाते हैं. हालांकि लॉजिक के मामले फिल्म कई जगह पर कमजोर है.


एक्शन, म्यूजिक और टेक्निकल -
एटली की फिल्म में कुछ धमाकेदार एक्शन सीक्वेंस हैं, जो बिल्कुल ओरिजिनल है. चाहे बाइक को सिगार से आग लगाना हो और उसकी मदद से दुश्मनों की गाड़ियों को उड़ाना हो, या फिर खंबे जैसे इंसान से फाइट करते हुए किया हुआ सिलेंडर का इस्तेमाल हो, एटली ने कहीं पर भी फाइट एक्शन रिपीट नहीं किया है.
फिल्म के गाने ठीक ठाक हैं, लेकिन बैकग्राउंड म्यूजिक कई जगह पर बेहद लाउड हो जाता है, जिसके चलते डायलॉग सुनने में मुश्किल होती है. फिल्म में फ्लैशबैक के कुछ सीन दिखाते हुए ब्लैक एंड व्हाइट, डार्क टोन का इस्तेमाल किया गया है, जो एक अलग असर छोड़ता है. सिनेमेटोग्राफी और एडिटिंग ने फिल्म को परफेक्ट बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
हालांकि शाहरुख खान का बतौर आजाद मेकअप इस फिल्म की बहुत बड़ी कमी है. 57 साल की उम्र में भी शाहरुख हर किरदार आसानी से निभाते हैं, जिससे देखने वाले को लगे ये उनके लिए ही बना है. लेकिन आजाद के किरदार में उनका किया गया मेकअप बार बार इस बात का एहसास दिलाता है कि उनकी उम्र छुपाने की कोशिश की जा रही है. हेयरस्टाइल और बियर्ड पर अलग तरह से काम हो सकता था.

देखें या न देखें -
शाहरुख खान की ‘जवान’ देखनी चाहिए, क्योंकि ये फिल्म अपने साथ एक स्ट्रॉन्ग मैसेज लेकर आई है. किसान की आत्महत्या हो या फिर आर्मी के हथियारों की क्वालिटी के साथ होने वाली छेड़छाड़. काफी समय बाद एक कमर्शियल बॉलीवुड फिल्म में इन सब बारे में बात की गई है. जिसे आमतौर पर डॉक्यूमेंट्री तक ही लिमिटेड रखा जाता है. यही वजह है कि फिल्म की कुछ कमियों को नजरअंदाज किया जा सकता है.


फिरोजाबाद और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !


मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. firozabadvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.