रक्षा बंधन से जुड़ी हैं ये 7 पौराणिक कहानियां

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एक पौराणिक कथा के अनुसार कृष्ण जी एक बार पतंग उड़ा रहे थें, तब उनकी उंगली मंजे से कट गई थी और उससे खून बहने लग गया था। ऐसे में द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया था। यह देखकर कृष्ण ने उनकी रक्षा करने का वचन दिया था।

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एक पौराणिक कथा के अनुसार गणेश जी जब अपनी बहन से राखी बंधवा रहे थे, तब उनके पुत्र शुभ और लाभ ने भी राखी बंधवाने की जिद्द की थी। जिसके बाद गणेश जी ने अपनी दीव्य ज्योति से संतोषी नामक कन्या को जन्म दिया, जिसने दोनों को राखी बांधी।

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एक पौराणिक कथा के अनुसार विषणु भगवान असुर राजा बलि के दान धर्म से खुश हुुए व उनकी बात मानकर पाताल लोक रहने लगे। इससे मां लक्ष्मी बैंकुठधाम में अकेली हो गई। वह गरीब महिला का रूप धारण कर वहां जाकर रोने लगी।

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ऐसा कहा जाता है कि जब चित्तौड़ पर सुल्तान बहादुर शाह आक्रमण कर रहे थे, तब राणा सांगा की विधवा रानी कर्णावती ने सम्राट हिमांयु को राखी भेजकर उनसे रक्षा की मांग की थी।

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महाभारत में युधिष्ठिर ने संकट पार करने के लिए कृष्ण जी से कोई उपाय मांगा था। जिसके लिए कृष्ण जी ने सेना को रक्षा सूत्र बांधने को कहा था। जिसके बाद युधिष्ठिर ने ऐसा ही किया।

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ऐसा कहा जाता कि पुरु को सिंकदर की पत्नी ने राखी बांधकर भाई बना रखा था। लेकिन, एक दिन सिकंदर और हिंदू राजा पुरु के बीच युद्ध छिड़ गया. युद्ध के दौरान पुरु ने राखी के प्रति अपना प्रेम और अपनी बहन से किए वादे का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवनदान दे दिया।

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