रक्षाबंधन पूर्णिमा को ही क्यों मनाया जाता है?
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हिंदू पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन 18 अगस्त की रात 2 बजकर 21 मिनट से लेकर अलगे दिन 19 अगस्त दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।
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पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और असुर राज राजा बली के पास भिक्षा मांगने के लिए पहुंच गए। भगवान ने राजा बली से भिक्षा में तीन पग जमीन मांग ली।
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राजा बली दानवीर प्रवृत्ति का था। जिसकी वजह से उसने भगवान को हां कर दी। इस बात से खुश होकर भगवान विष्णु ने राजा बली को रसातल का राज घोषित कर दिया है।
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कहते हैं कि राजा बली ने अपने भक्ति भाव से भगवान को रात दिन अपने साथ रहने का वजन मांग लिया। जिसे भगवान मना नहीं कर पाए। लेकिन उन्हें वामन अवतार के बाद लक्ष्मी जी के पास वापस जाना था।
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क्योंकि भगवान वामनावतार के बाद लक्ष्मी जी के पास नहीं जा पा रहे थे, तो लक्ष्मी जी काफी चिंतित हो गई। इसके बाद नारद जी ने उन्हें एक उपाय बताया।
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तब लक्ष्मी जी ने राजा बली को राखी बांधकर अपना भाई बना लिया। इसके बाद वह अपने पति विष्णु भगवान को अपने साथ वापस ले आईं।
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जिस दिन लक्ष्मी जी ने राजा बली को राखी बांधी उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी। माना जाता है कि तब से रक्षाबंधन का त्योहार इस दिन मनाया जाता है। रक्षाबंधन पूर्णिमा के दिन मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।
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