यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर अमेरिका द्वारा लगाए गए कड़े प्रतिबंधों के दबाव में रूसी तेल कंपनियों के साम्राज्य में बड़ी दरार आनी शुरू हो गई है। रूस की दूसरी सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी लुकोइल (Lukoil) ने घोषणा की है कि वह अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण अपनी अंतर्राष्ट्रीय संपत्तियों की बिक्री करेगी। यह फरवरी 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद पहली बार है जब किसी बड़ी रूसी ऊर्जा कंपनी ने प्रतिबंधों के प्रत्यक्ष प्रभाव के रूप में अपनी संपत्ति बेचने की योजना बनाई है। लुकोइल पर 22 अक्टूबर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रतिबंध लगाए थे। लुकोइल और रोसनेफ्ट (Rosneft) मिलकर रूस के लगभग 50 प्रतिशत कच्चे तेल का उत्पादन करती हैं।
'विंड डाउन लाइसेंस' के तहत बिक्री की प्रक्रिया शुरू
रॉयटर्स के अनुसार, लुकोइल ने अपने बयान में कहा कि परिसंपत्तियों की बिक्री अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय (OFAC) के तहत प्राप्त 'विंड डाउन लाइसेंस' के तहत की जा रही है। कंपनी ने संभावित खरीदारों की बोलियों पर विचार करना भी शुरू कर दिया है। यदि आवश्यक हुआ, तो लुकोइल अपने अंतर्राष्ट्रीय परिचालन को सुनिश्चित करने के लिए लाइसेंस के विस्तार के लिए आवेदन करने की योजना बना रही है।
ब्रिटेन ने भी 15 अक्टूबर को लुकोइल और रोसनेफ्ट के साथ-साथ 44 'शैडो टैंकरों' पर प्रतिबंध लगाए थे। अमेरिका और ब्रिटेन दोनों का तर्क है कि इन प्रतिबंधों का उद्देश्य कच्चे तेल से रूस को होने वाली कमाई को कम करना है, जिससे मॉस्को की युद्ध मशीनरी के वित्तपोषण को बाधित किया जा सके। रूस का बजट लगभग 40% तेल-गैस राजस्व पर निर्भर करता है, जो उसके युद्ध प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण है।
लुकोइल की प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संपत्तियां निशाने पर
लुकोइल विश्व के कच्चे तेल के कुल उत्पादन में लगभग 2 प्रतिशत का योगदान देती है। अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद खरीदारों की निगाहें कंपनी के विदेशों में स्थित तेल कुओं और रिफाइनरियों पर टिकी हुई हैं। विदेशों में लुकोइल की सबसे बड़ी संपत्ति इराक में स्थित वेस्ट कुर्ना-2 तेल कुआं है। यह दुनिया के सबसे बड़े तेल क्षेत्रों में से एक है, जिसमें लुकोइल की 75% हिस्सेदारी है। रूसी इंटरफैक्स समाचार एजेंसी के अनुसार, अप्रैल में इस क्षेत्र का उत्पादन 480,000 बैरल प्रतिदिन से अधिक था।
इसके अलावा, कंपनी की बिक्री सूची में यूरोपीय रिफाइनरियां भी शामिल हो सकती हैं:
बुल्गारिया में लुकोइल नेफ्तोहिम बर्गास रिफाइनरी: यह बाल्कन की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी है, जिसकी क्षमता 190,000 बैरल प्रतिदिन है।
रोमानिया में पेट्रोटेल तेल रिफाइनरी।
लुकोइल हंगरी और स्लोवाकिया सहित अन्य यूरोपीय देशों को भी तेल की आपूर्ति करती है। सेंट्रल एशिया में कजाकिस्तान समेत कई देशों में भी कंपनी के प्रोजेक्ट चल रहे हैं।
प्रतिबंधों का गहरा असर
अमेरिकी प्रतिबंधों के लागू होने का मतलब है कि दुनिया की कोई भी कंपनी अब लुकोइल और रोसनेफ्ट के साथ व्यापार नहीं कर पाएगी, अन्यथा उन्हें भी अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। लुकोइल जैसी कंपनियों के अंतर्राष्ट्रीय संपत्तियां बेचने के लिए मजबूर होना यह दर्शाता है कि पश्चिमी प्रतिबंध रूस की राजस्व कमाई को गंभीर नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध को लंबा खींचने की रूस की क्षमता प्रभावित होगी। यह रूसी ऊर्जा कंपनियों के वैश्विक साम्राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण झटका है, जो सोवियत संघ के विघटन के बाद खड़ा हुआ था।