सोशल मीडिया पर एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल सैयद असीम मुनीर अहमद शाह ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कश्मीर का नक्शा भेंट किया है। हालाँकि, इंडिया टीवी द्वारा की गई तथ्य-जांच से पुष्टि हुई है कि यह दावा पूरी तरह से फर्जी है और इसे डिजिटल रूप से हेरफेर करके बनाया गया है।
क्या दावा किया जा रहा है?
फेसबुक पर 'इमरान टाइगर' नामक अकाउंट ने 'अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी)' नामक ग्रुप में यह तस्वीर साझा की थी। पोस्ट के साथ कैप्शन दिया गया, "भारत प्रशासित कश्मीर। आसिम मुनीर ने नरेंद्र मोदी को कश्मीर का नक्शा भेंट किया।" इसके अलावा, 'खान सोल्जर' नामक एक अन्य यूजर ने इसे साझा करते हुए लिखा, "देशद्रोहियों के चेहरे साझा करें। उन्होंने कश्मीर को बेच दिया।" इस तस्वीर को कई अन्य अकाउंट्स ने भी साझा किया, जिससे यह इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो गई।
फैक्ट चेक में सामने आई ये जानकारी
हमने वायरल हो रही तस्वीर की प्रामाणिकता की जांच करने का निर्णय लिया। सबसे पहले, प्रासंगिक कीवर्ड का उपयोग कर गूगल ओपन सर्च किया, लेकिन इस दावे का समर्थन करने वाला कोई विश्वसनीय समाचार स्रोत नहीं मिला। इसके बाद, हमने इमरान टाइगर और बिलाल एआई के फेसबुक अकाउंट की समीक्षा की। अकाउंट की प्रोफाइल जानकारी के अनुसार, यह डिजिटल क्रिएटर द्वारा संचालित किया जा रहा था और इसमें एआई-जनित कंटेंट, व्यंग्य और मीम्स साझा किए जाते थे। यह इस ओर इशारा करता है कि वायरल तस्वीर संभवतः एआई द्वारा बनाई गई थी।
इसके अलावा, हमने तस्वीर में कुछ असामान्य गड़बड़ियां पाईं, जो आमतौर पर एआई-जनित इमेज में देखी जाती हैं, जैसे कि असंतुलित प्रकाश, अजीब हाथों की संरचना और असंगत छायांकन। इस तस्वीर को एआई डिटेक्शन टूल की मदद से स्कैन किया गया, जिसमें यह सामने आया कि यह 99.2% एआई-जनित है।
तथ्य जांच से क्या पता चला?
फैक्ट चेक से स्पष्ट हुआ कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने प्रधानमंत्री मोदी को कश्मीर का नक्शा नहीं सौंपा है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही यह तस्वीर पूरी तरह से फर्जी है और इसे डिजिटल रूप से तैयार किया गया है।
लोगों को क्या करना चाहिए?
फर्जी खबरों और एआई-जनित तस्वीरों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को किसी भी पोस्ट को बिना जांचे-परखे साझा करने से बचना चाहिए। ऐसी खबरों की सत्यता की पुष्टि करने के लिए आधिकारिक समाचार स्रोतों की मदद लेना आवश्यक है।
निष्कर्ष
सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैलाने के लिए एआई और डिजिटल एडिटिंग तकनीकों का उपयोग बढ़ रहा है। इस मामले में भी यही हुआ है। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि डिजिटल सामग्री पर आंख मूंदकर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है। इसलिए, सतर्क रहना और किसी भी खबर की सच्चाई को परखना बेहद जरूरी है।