प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित महाकुंभ ने देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालुओं को संगम तट पर एकत्रित किया। इस ऐतिहासिक आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पवित्र स्नान किया और अपने अनुभवों को एक ब्लॉग के माध्यम से साझा किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ब्लॉग में महाकुंभ को "एकता का महायज्ञ" करार देते हुए लिखा, "जब एक राष्ट्र की चेतना जागृत होती है, सैकड़ों साल की गुलामी की मानसिकता के बंधनों को तोड़कर नई चेतना के साथ आगे बढ़ता है, तो ऐसा दृश्य होता है जैसा हमने प्रयागराज में देखा।" उन्होंने 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का उल्लेख करते हुए कहा कि महाकुंभ के दौरान देशभर से आए संत-महात्मा, महिलाएं, युवा और बुजुर्गों ने एकता का संदेश दिया।
महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में संगम तट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। स्नान के बाद श्रद्धालुओं के चेहरों पर असीम आनंद और संतोष स्पष्ट दिखाई दे रहा था। प्रधानमंत्री ने लिखा, "मैं वो तस्वीरें भूल नहीं सकता। महिलाएं, बुजुर्ग, दिव्यांगजन—सभी ने अपने-अपने साधनों से संगम तक पहुंचकर पवित्र स्नान किया।"
महाकुंभ 2025 की तैयारियों में उत्तर प्रदेश सरकार ने विशेष ध्यान दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। इसके लिए यातायात व्यवस्था, सुरक्षा और स्वच्छता पर विशेष जोर दिया गया। महाकुंभ के दौरान प्रतिदिन औसतन 1.44 करोड़ लोग संगम में स्नान कर रहे थे, जिससे व्यवस्थाओं को सुचारू बनाए रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था।
धानमंत्री मोदी ने महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए दिन-रात काम कर रहे श्रमिकों और सफाई कर्मचारियों की सराहना की। उन्होंने कहा, "प्रयागराज की इस धरती पर एक नया इतिहास रचा जा रहा है। महाकुंभ एकता का ऐसा महायज्ञ होगा जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में होगी।"
महाकुंभ 2025 में तकनीकी नवाचारों का भी समावेश किया गया। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 'कुंभ सहायक' चैटबॉट लॉन्च किया गया, जो 11 भाषाओं में जानकारी प्रदान करता है। इससे महाकुंभ का आयोजन पूरी तरह डिजिटल हो गया, जिससे श्रद्धालुओं को आवश्यक जानकारी आसानी से उपलब्ध हो सकी।
महाकुंभ के समापन पर प्रधानमंत्री ने अपनी आस्था को और मजबूत बताते हुए कहा, "राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य को लेकर मेरी आस्था पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो गई है।" उन्होंने जल्द ही द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से प्रथम ज्योतिर्लिंग, श्री सोमनाथ के दर्शन करने की इच्छा व्यक्त की, जहां वे हर भारतीय के लिए प्रार्थना करेंगे।
महाकुंभ 2025 ने न केवल आध्यात्मिकता और आस्था का संगम प्रस्तुत किया, बल्कि यह भारत की एकता, समरसता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी बना। प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में, "यह महाकुंभ एकता का महाकुंभ था, जहां 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ एक समय में इस एक पर्व से आकर जुड़ी।"