वॉशिंगटन डीसी: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने अपने वीजा नियमों को और सख्त बना दिया है। एक नए निर्देश के तहत, अब फैक्ट-चेकिंग, कंटेंट मॉडरेशन, कंप्लायंस और ऑनलाइन सेफ्टी जैसे क्षेत्रों में काम कर चुके लोगों को अमेरिकी वीजा जारी नहीं किया जाएगा। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने अमेरिकी विदेश विभाग के एक आंतरिक मेमो के हवाले से यह जानकारी दी है।
दूतावास अधिकारियों को सख्त निर्देश
2 दिसंबर को जारी किए गए इन निर्देशों में अमेरिका ने अपने सभी दूतावास अधिकारियों को ऐसे आवेदकों के वीजा आवेदन को सीधे तौर पर रिजेक्ट करने के लिए कहा है, जो इन विशिष्ट क्षेत्रों से जुड़े रहे हैं। यह निर्देश केवल आवेदकों तक ही सीमित नहीं है। दूतावास अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे वीजा के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति के साथ-साथ उनके परिवार के सदस्यों की भी प्रोफाइल (रिज्यूम या लिंक्डइन प्रोफाइल) की गहनता से जाँच करें। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आवेदक या उसके परिवार के किसी सदस्य ने फैक्ट चेक, कंटेंट मॉडरेशन, कंप्लायंस, या ऑनलाइन सेफ्टी के क्षेत्र में काम न किया हो।
यह नियम पत्रकारों, पर्यटकों और अन्य सभी कैटेगरी के वीजा पर लागू होगा, लेकिन इसका सबसे बड़ा असर H-1B वीजा पर पड़ने की संभावना है। H-1B वीजा टेक्नोलॉजी और अन्य स्किल्ड सेक्टर के श्रमिकों को दिया जाता है।
भारतीयों पर सबसे बड़ा असर
नए वीजा नियमों का सबसे ज्यादा असर भारतीय नागरिकों पर पड़ेगा, क्योंकि H-1B वीजा कैटेगरी में भारतीयों का दबदबा है। यूएस सिटीजनशिप एंड इमिग्रेशन सिस्टम के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, इस कैटेगरी में जारी किए गए लगभग 70 फीसदी वीजा भारतीयों को दिए गए थे। भारतीय नागरिक बड़ी संख्या में अमेरिका के टेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर और सॉफ्टवेयर क्षेत्रों में कार्यरत हैं। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और आईबीएम जैसी बड़ी टेक कंपनियों में भारतीय मूल के अधिकारी शीर्ष पदों पर हैं। ये आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि आईटी, सॉफ्टवेयर, और डेटा सेक्टर में भारतीयों की कितनी अधिक मांग है।
आईटी पेशेवरों के लिए बढ़ी मुश्किलें
नए प्रतिबंधों के लागू होने के बाद, उन भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका का वीजा लेना अब आसान नहीं होगा, जिनका करियर फैक्ट-चेकिंग, कंटेंट मॉडरेशन या ऑनलाइन कंप्लायंस जैसी भूमिकाओं में रहा है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है जो सोशल मीडिया कंपनियों, टेक फर्मों या न्यूज प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट रिव्यू या सेफ्टी ऑपरेशन से जुड़े रहे हैं। ट्रंप प्रशासन का यह कदम अप्रवासी वीजा धारकों पर सख्ती बरतने की उसकी पिछली नीति का ही विस्तार प्रतीत होता है, जिसका सीधा प्रभाव स्किल्ड भारतीय श्रमिकों के अमेरिका जाने के सपनों पर पड़ेगा।